रियल एस्टेट पर निगरानी करना हमारा काम नहीं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली ,18 फरवरी (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि वह रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के निर्माण पर निगरानी नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि अपनी परेशानियों के समाधान के लिए फ्लैट खरीदारों द्वारा संविधान के अनुछेद-32 के तहत दायर रिट याचिका पर वह विचार नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रियल एस्टेट के खरीदारों को कानूनी अधिकार मिले हुए हैं, जिसके तहत समस्याओं के निदान के उपाय उपलब्ध हैं। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-1986, भारतीय दिवाला और शोधन कोड 2016 और रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 आदि कानून के तहत खरीदार अपनी शिकायत कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि हमें यह ख्याल रखना चाहिए कि किसी याचिका पर विचार करने पर खर्च कितना है। न्यायिक समय बहुमूल्य संसाधन है। हमें तब दखल देना चाहिए, जब मामला उचित व आवश्यक हो। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने फैसले में कहा है कि खरीदारों को अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बजाय अन्य फोरम में जाना चाहिए। हालांकि पीठ ने स्पष्ट किया कि आम्रपाली और यूनिटेक जैसे मामलों पर चल रही कार्यवाही पर इस फैसले का असर नहीं पड़ेगा। मालूम हो कि आम्रपाली और यूनिटेक मामले पर सुप्रीम कोर्ट पहले से निगरानी कर रहा है।

इस खरीदार की याचिका पर फैसला
कोर्ट ने बुलंदशहर के सुशांत मेगापोलिस रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के खरीदार की याचिका पर यह फैसला दिया है। याचिका में कहा गया था कि लंबे समय के बाद भी बिल्डर ने खरीदारों को फ्लैट मुहैया नहीं कराया है। याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि इससे चार-पांच हजार खरीदार प्रभावित हैं। पीठ ने कहा कि इस तरह से याचिकाओं पर विचार करने का मतलब है बिल्डिंग प्रोजेक्ट पर रोजाना निगरानी रखना, यह न्यायिक परीक्षण के दायरे से बाहर है।
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