हैं सब अजनबी कोई अपना नहीं, किसी से मुझे कोई खतरा नहीं…
विकासनगर। उदगार साहित्यिक एंव सामाजिक संस्था की ओर से स्व. रशीद आरफी की याद में रविवार को काव्य गोष्ठी आयोजित की गई। हरबर्टपुर में आयोजित काव्य गोष्ठी में कवियों ने प्रेम, सौंदर्य और वात्सल्य का अनूठा मिश्रण पेश कर समां बांधा।
संतोष गोयल ने काव्य पाठ करते हुए ‘मैं सवालों की तरह हूं, तू जवाबों की तरह आ…, मजाहिर खान ने कहा कहा कि ‘हैं सब अजनबी कोई अपना नहीं, किसी से मुझे कोई खतरा नहीं…। पवन कुमार सूरज ने कहा कि ‘राम नाम है सबका जीवन, राम नाम ही सार, राम नाम की नौका लेकर, जाना भव से पार…, सतेंद्र शर्मा तरंग ने माता पिता को समर्पित अपनी रचनान सुनाते हुए कहा कि ‘मात पिता दूजा नहीं, जग में कोई और, देकर इनको मान ही, मिलता पावन ठौर…, शिवराज सरहदी ने कहा कि ‘मन के पत्थर हैं, कुछ मन के बाहर, कुछ मन के अंदर हैं…, पवन शर्मा ने अपनी साहित्य के महत्व की जानकारी देते हुए कहा कि ‘जब जब सृष्टि नटी मुस्कराई, तब भी कलम चली, जब दुख में आंखें भर आई तब भी कलम चली। आगत के स्वागत में जाने क्या क्या कह डाला, जब जब देनी पड़ी विदाई, तब भी कलम चली…। नीलम शर्मा ने कहा ‘तुम तो देवी थी जो मेरे घर आई थी, मेरे मन मंदिर में तुम बस आई थी…, उर्मिला गौतम ने अपनी रचना पढ़ते हुए कहा कि ‘कोई रिश्ता नया पुराना नहीं होता, जिंदगी में हर सफर सुहाना नहीं होता…। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता संतोष गोयल ने की, जबकि संचालन पवन शर्मा ने किया।