राज्यसभा में मानव तस्करी और महिला आरक्षण विधेयक किया जाए पारित

नई दिल्ली (आरएनएस)। राज्यसभा में मंगलवार को बीजू जनता दल के सदस्य डॉ.सस्मित पात्रा ने महिलाओं के सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र से मानव तस्करी निषेध विधेयक और महद्घला आरक्षण विधेयक संसद में पारित कराए जाने की मांग की।
डॉ.पात्रा ने उच्च सदन में शून्यकाल में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि यदि देश में लैंगिक समानता सुनिश्चित करनी है तो हमें मानव तस्करी को बंद करना होगा और इसके लिए मानव तस्करी निषेध कानून पारित करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इससे संबंधित एक विधेयक लोकसभा में 2018 में पारित हुआ था लेकिन पिछली लोकसभा का कार्यकाल खत्म होने और उसके राज्यसभा में पारित नहीं होने के कारण वह निष्प्रभावी हो गया। राजग सरकार के पूर्व कार्यकाल में जुलाई 2018 में व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, संरक्षण एवं पुनर्वास) विधेयक लोकसभा में पारितकिया गया था। डा. पात्रा ने मांग की कि इस विधेयक को फिर से पेश किया जाए, ताकि महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा हो सके। उन्होंने सरकार से मांग की कि उनकी मांग पर ध्यान देते हुए इस विधेयक को संसद में जल्द से जल्द पेश कर पारित करवाया जाए। उन्होंने विधानसभाओं और संसद में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने वाले विधेयक को भी जल्द संसद से पारित करवाए जाने की मांग की। उन्होंने कहा कि इससे लैंगिक समानता स्थापित कर महिलाओं का सही मायने में सशक्तिकरण होगा। संप्रग शासनकाल में महिलाओं के आरक्षण से संबंधित एक विधेयक मार्च 2010 में राज्यसभा में पारित किया गया था लेकिन यह लोकसभा में पारित नहीं हुआ था।

ओबीसी आरक्षण का मुद्दा
जद (यू) के रामनाथ ठाकुर ने अन्य पिछड़ा वर्ग जातियों के आरक्षण से जुड़ा मुद्दा शून्यकाल में उठाते हुए कहा कि केंद्र सरकार को अत्यंत पिछड़ा वर्ग को आरक्षण उस फार्मूले से देना चाहिए जैसा जननायक कर्पूरी ठाकुर ने एक अधिनियम के तहत वर्गीकृत किया था। रामनाथ ठाकुर ने कहा कि जननायक कर्पूरी ठाकुर ने 10 नवंबर 1978 को आरक्षण में वर्गीकरण का प्रावधान एक अधिनियम के माध्यम से किया था। इसमें अति पिछड़ों, आर्थिक रूप से पिछड़ों तथा महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्था की गयी थी। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी जद (यू) के प्रमुख और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मांग की है कि केंद्र सरकार भी इस फार्मूले पर आरक्षण को लागू करे। इससे उन वर्गों को वाजिब लाभ मिल सकेगा जो इसके हकदार हैं। शून्यकाल में कांग्रेस सहित कई विपक्षी दलों के सदस्य पेट्रोलियम उत्पादों की मूल्यवृद्धि के मुद्दे पर हंगामा कर रहे थे। हंगामे के कारण उपसभापति हरिवंश ने बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।