राज्य और जिला सहकारी बैंकों की बदलेगी तस्वीर
देहरादून। उत्तराखंड में आने वाले दिनों में राज्य और जिला सहकारी बैंकों की तस्वीर बदलेगी। वे न केवल राष्ट्रीयकृत और निजी बैंकों से प्रतिस्पर्धा करेंगे, बल्कि ग्राहकों को बेहतर सुविधाएं भी उपलब्ध करा सकेंगे।
सरकार ने इस सबके मद्देनजर सहकारी बैंकों को सशक्त बनाने और उनके माध्यम से विशेष बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। इसके लिए सौ दिन का लक्ष्य रखा गया है। राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों तक के निवासियों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने में जिला सहकारी बैंक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। 10 जिला सहकारी बैंक प्रदेशभर में 289 शाखाओं के माध्यम से सेवाएं दे रहे हैं, जबकि राज्य सहकारी बैंक अपनी 15 शाखाओं के माध्यम से। इसके अलावा राज्य में न्याय पंचायत स्तर पर बहुद्देश्यीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एमपैक्स) के माध्यम से भी सहकारी बैंक ग्रामीणों को बैंकिंग सुविधा दे रहे हैं। इस सबके बावजूद बदली परिस्थितियों में जिला सहकारी बैंकों के आधुनिकीकरण की दिशा में कदम बढ़ाने की रफ्तार बेहद धीमी है।
जिला और राज्य सहकारी बैंकों की शाखाओं में आज के दौर में इंटरनेट बैंकिंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा आरटीजीएस की सुविधा के लिए जिला सहकारी बैंकों को आइसीआइसीआइ बैंक का सहारा लेना पड़ रहा है। जिला सहकारी बैंकों का अपना आरटीजीएस नहीं है। साफ है कि वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार सुविधाएं न होने के कारण लोग अब दूसरे बैंकों की तरफ भी उन्मुख होने लगे हैं। इस सबको देखते हुए सरकार ने जिला व राज्य सहकारी बैंकों के आधुनिकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है। इसी कड़ी में प्रथम चरण में सौ दिन की कार्ययोजना बनाई गई है। सचिव सहकारिता डा बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने समाचार एजेंसी आरएनएस को बताया कि इस अवधि में विशेष बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए जाएंगे। इसी कड़ी में जिला सहकारी बैंकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या दूर कर ग्राहकों को आरटीजीएस, मोबाइल व इंटरनेट बैंकिंग की सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। ग्राहकों को यह सुविधाएं मुहैया कराने के साथ ही जिला सहकारी बैंकों से एक लाख नए ग्राहक इस अवधि में जोड़ने का निश्चय भी किया गया है।