

नई टिहरी(आरएनएस)। देश की पहली 1000 हजार मेगावाट वेरिएबल पंप स्टोरेज प्लांट (पीएसपी) कार्य अंतिम चरण में है। नए वर्ष 2026 के जनवरी माह तक पीएसपी की 250 मेगावाट की अंतिम यूनिट से भी विद्युत उत्पादन शुरू हो जाएगा। जिससे 1980 के दशक से चली आ रही 2500 मेगावाट की टिहरी बांध परियोजना का काम भी पूरा हो जाएगा। परियोजना के पूर्ण होने से देश की विद्युत उत्पादन क्षमता में 1000 मेगावाट की वृद्धि होने के साथ ही कई राज्यों को पीने का पानी और सिंचाई की सुविधा मिलेगी। पीएसपी के निर्माण पर अब तक 8 हजार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। सोमवार को भागीरथीपुरम में टीएचडीसी इंडिया लि.के मुख्य महाप्रबंधक एमके सिंह ने पत्रकार वार्ता करते हुए पीएसपी के निर्माण के संबंध में जानकारी दी। कहा कि 1000 मेगावाट की पीएसपी का कार्य अंतिम चरण में हैं। अभी तक 250-250 मेगावाट की दो यूनिटों से विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। बताया कि 250 मेगावाट की एक और यूनिट से 10 से 15 दिन के बीच शुरू हो जाएगा। जबकि 250 मेगावाट की अंतिम यूनिट से भी जनवरी 2026 से विद्युत उत्पादन शुरू हो जाएगा। पूरी तरह सुरंग के अंदर बनाई गई पीएसपी से कोई भी परिवार प्रभावित नहीं हो हुआ है। एचडीसी इन दिनों पीएसपी की प्रत्येक यूनिट से हर दिन करीब एक-एक करोड़ की बिजली उत्पादन कर रहा है। उन्होंने बताया कि पीएसपी न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से बल्कि पर्यावरण और आर्थिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह भारत को कोयले पर निर्भरता कम करने,कार्बन उत्सर्जन घटाने और हरित विकास की ओर ले जा रही है। बताया कि पीएसपी क्लोज्ड लूप प्रणाली पर कार्य करती है। पीएसपी के संयंत्रों से समान मात्रा में पानी ऊपरी और निचले जलाशयों के बीच छोड़ा जाता है। बताया कि पावर ग्रिड से बिजली की ज्यादा मांग पर उत्पादन के लिए ऊपरी जलाशय से पानी छोड़ा जाता है और कम मांग के समय उसे फिर से पंप करके ऊपर जलाशय में वापस भेजा जाता है। बताया कि पीएसपी प्राकृतिक जल संसाधनों की खपत नहीं करती,बल्कि केवल पानी का रिसाइकल करती है। इस परियोजना से खेती की सिंचाई और पीने के पानी लिए मैदानी क्षेत्रों के कई राज्यों को पूर्व की भांति नियमित पानी पर्याप्त मात्रा मिलता रहेगा। इस मौके पर टीएचडीसी के महाप्रबंधक पीएसपी एसके साहू, डीजीएम मोहन सिंह श्रीस्वाल, डीजीएम आशीष ममगाईं, प्रबंधक मनवीर सिंह नेगी, दीपक उनियाल आदि मौजूद थे।

