प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला को 10 किमी डंडों पर कपड़ा बांध डोली बनाकर लाए
नवजात की रास्ते में जन्म लेते ही मौत, महिला हल्द्वानी रेफर
पिथौरागढ़। सडक़ और चिकित्सा सुविधा के अभाव में तहसील बंगापानी के आपदा प्रभावित गांव में एक नवजात की जन्म लेते ही मौत हो गई। मां जीवन के लिए संघर्ष कर रही है। जिसे पिथौरागढ से हल्द्वानी रेफर कर दिया गया है। समय से उपचार मिलता तो नवजात बच जाता और मां की हालत गंभीर नहीं होती। जिसे लेकर क्षेत्र की जनता में आक्रोश बना हुआ है। यह घटना बंगापानी तहसील के सडक़ से दस किमी दूर ग्राम पंचायत मेतली के खेतीखान तोक की है। मानसून काल में इस गांव में आपदा ने तबाही मचाई थी। आपदा में क्षतिग्रस्त पैदल मार्गों की अभी तक मरम्मत नहीं हुई है। गांव सडक़ से वंचित है। गांव निवासी पूजा देवी 22 वर्ष पत्नी तारा सिंह गर्भवती थी। उसे प्रसव पीड़ा बढऩे लगी। गांव से अस्पताल नब्बे किमी दूर जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ है, परंतु प्रसव पीड़ा से तड़प रही महिला को दस किमी दूर सडक़ बरम तक लाना कठिन चुनौती थी। ग्रामीणों ने हमेशा की तरह डंडों पर कपड़ा बांध डोली बनाई और कंधों पर गर्भवती को बरम को लाए। बीच रास्ते में महिला ने बच्चे को जन्म दिया। महिला की हालत गंभीर बनी थी और नवजात की बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन नहीं मिलने बच्चे की मौत हो गई। ग्रामीण जैसे तैसे महिला को डोली से बरम तक लाए। जहां से पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय स्थित महिला अस्तपाल लाया गया। महिला पूजा को प्राथमिक उपचार देने के बाद उसकी हालत देखते हुए हल्द्वानी रेफर कर दिया गया है। स्वजनों के अनुसार महिला की हालत खराब है। इस घटना को लेकर ग्रामीणों में रोष व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना है कि सडक़ होती तो महिला समय से बरम पहुंच जाती। जहां अस्पताल में प्रसव होता तो नवजात बच जाता। ग्रामीणों ने इसके लिए सरकार और जनप्रतिनिधियों को दोषी ठहराया है। ग्रामीणों का कहना है कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनावों में सभी ने गांव को सडक़ से जोडऩे की प्राथमिकता बताई थी। 2022 आने को है परंतु गांव तक सडक़ तो दूर सडक़ की स्वीकृति तक नहीं मिली है। ग्रामीणों ने आने वाले चुनाव में मतदान के बहिष्कार का ऐलान किया है।