प्रदेश में खेल गतिविधियों के शुरू होने पर संशय बरकरार

देहरादून। अनलॉक के चौथे चरण में केंद्र सरकार की ओर से दी गई छूट के बाद भी प्रदेश में खेल गतिविधियों के शुरू होने पर संशय बरकरार है। वजह यह कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन में यह साफ नहीं है कि किन खेलों और किस उम्र के खिलाडिय़ों को छूट रहेगी। ऐसे में खेल विभाग भी इस मसले पर वेट एंड वाच की स्थिति में है। यही वजह है कि अभी तक खेलों के आयोजन को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किए गए हैं। वहीं, खेल विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए खेल गतिविधियां शुरू करना जल्दबाजी होगा। कोरोना की बढ़ती रफ्तार के बीच इस नाजुक वक्त पर छोटी-सी चूक बहुत भारी पड़ सकती है। काफी हद तक संभव है कि 21 सितंबर से आउटडोर खेलों के आयोजन को हरी झंडी मिल जाए, लेकिन इनडोर खेल फिलहाल शुरू होते नजर नहीं आ रहे। इन दिनों प्रदेश में खेल विभाग और युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल विभाग के एकीकरण की चर्चा जोरों पर है। इस प्रस्ताव के सार्वजनिक होने के बाद से ही खेल विभाग के कर्मचारी और खेल संघ मोर्चा खोले हुए हैं। इसमें प्रदेश के नामचीन खिलाड़ी भी शामिल होने लगे हैं। इसके लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री, खेल मंत्री और खेल सचिव को कई पत्र लिखे जा चुके हैं। बात नहीं बनी तो खिलाडिय़ों ने प्रदेश भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया। ओलंपियन मनीष रावत, नितेंद्र रावत और भारतीय बास्केटबाल टीम के कप्तान विशेष भृगुवंशी तो सोशल मीडिया पर भी एकीकरण के विरोध में मुहिम छेड़ चुके हैं। मगर, ‘सरकार’ हैं कि सुनने को तैयार नहीं। विरोध करने वालों की फेहरिस्त जब लंबी होती जा रही है तो जाहिर है कि कोई वजह भी होगी। ऐसे में उनकी बात सुनने में क्या हर्ज है, आखिर में निर्णय तो सरकार को ही लेना है।
कोरोनाकाल ने हर क्षेत्र पर व्यापक दुष्प्रभाव डाला है। इसके चलते महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में अब तक प्रवेश की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है। इसको लेकर अभिभावक खासे चिंतित हैं। वह स्पोर्ट्स कॉलेज प्रबंधन से लगातार सवाल कर रहे हैं। कॉलेज प्रबंधन के अनुसार कॉलेज इस मामले में सरकार के निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा है। राज्य सरकार जो भी निर्णय देगी, उसी के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी। छात्रहित में सत्र की अवधि कम करनी पड़ी तो यह भी किया जाएगा। स्पोर्ट्स कॉलेज प्रबंधन ने पांच अप्रैल से प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने का कैलेंडर जारी किया था, लेकिन कोरोना महामारी के चलते देशभर में लागू हुए लॉकडाउन की वजह से प्रवेश प्रक्रिया स्थगित करनी पड़ी। उसके बाद से कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि अभी तक सरकार और कॉलेज प्रबंधन प्रवेश प्रक्रिया को लेकर कोई निर्णय नहीं ले पाए हैं। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की खेल प्रतिभाओं को इस वर्ष खेल महाकुंभ में हिस्सा लेने का मौका भी नहीं मिलेगा। वजह यह कि कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष खेल महाकुंभ का आयोजन होने की उम्मीद नहीं के बराबर है। आमतौर पर अगस्त में खेल महाकुंभ की तैयारियां जोरों पर रहती हैं, लेकिन इस बार सितंबर में भी इसको लेकर कोई हलचल न होना भी यही दर्शाता है। खेल महाकुंभ की नोडल एजेंसी युवा कल्याण विभाग की रिपोर्ट भी इसी ओर इशारा कर रही है। विभाग ने इस संबंध में ब्लॉक और जिला स्तर पर फीडबैक मांगा था, लेकिन सभी ने कोरोना के चलते खेल महाकुंभ के आयोजन को सुरक्षित नहीं बताया। हालांकि, युवा कल्याण विभाग ने शासन को इसकी रिपोर्ट भेजकर निर्णायक गेंद शासन के पाले में फेंक दी है यानी आयोजन पर अंतिम निर्णय शासन को लेना है। अब शासन क्या निर्णय लेता है, यह देखने योग्य होगा।


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