राज्य गठन के बाद जनप्रतिनिधियों ने राजधर्म को नहीं निभाया : कंडारी
विकासनगर। पूर्व कैबिनेट मंत्री मातबर सिंह कंडारी ने कहा कि उत्तराखंड राज्य बनने पर जनता ने सोचा था कि अब राज्य का विकास होगा और भ्रष्टाचार समाप्त होगा। लेकिन राज्य गठन के बाद जनप्रतिनिधियों ने राजधर्म को नहीं निभाया। इससे न तो राज्य का विकास अपेक्षाओं के अनुरूप हो पाया और न ही भ्रष्टाचार में कोई कमी आयी है। कालसी क्षेत्र में पहुंचे पूर्व मंत्री कंडारी ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि अलग उत्तराखंड राज्य बनने के बाद यहां जनप्रतिनिधियों की संख्या बढ़ी है। जनप्रतिनिधियों से लोगों की आकांक्षाएं भी जागी। लेकिन फायदा होने के बजाय राज्य की जनता को घाटा ही हुआ है। कहा कि छोटे राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ता जा रहा है। जनप्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों को न समझकर अपना फायदा बटोरने में लगे हैं। कहा कि अफसरशाही लगातार बेलगाम होती जा रही है। अधिकारी मनमाने फैसले कर रहे हैं। जनता की सुनने वाला उसका जनप्रतिनिधि ही सुनने को तैयार नहीं हैं तो अधिकारी कैसे जनता की बात को सुनेगा। कहा कि जनप्रतिनिधियों को अपना राजधर्म निभाना चाहिए। निजी लाभ कमाने के बजाया जनसेवा करनी चाहिए। जिस जनता ने उन्हें विजयी बनाकर क्षेत्र के विकास का जिम्मा सौंपा है उसे ईमानदारी से निभाग कर जनता के हितों की रक्षा करनी चाहिए। कहा कि प्रदेश में अराजकता का माहौल बढ़ता जा रहा है। कानून व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है। लगातार प्रदेश में अपराधों का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। आये दिन बड़ी-बड़ी वारदातें हो रही हैं। लेकिन जनप्रतिनिधि और अधिकारी अपने दायित्वों का निर्वहन करने को तैयार नहीं हैं। कहा कि जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों को राज्य के हित में काम करना चाहिए। जनता की पीड़ा को समझना चाहिए। तभी राज्य का भला होगा और अलग उत्तराखंड राज्य गठन का लोगों को लाभ मिल सकेगा।