पुलिस के कहने पर बेटे के शव को बोरी में भरकर 3 किमी पैदल चला बेबस पिता
कटिहार, 07 मार्च (आरएनएस)। बिहार में कटिहार जिले के कुर्सेला थाना क्षेत्र के खेरिया घाट पर बीते कुछ दिनों से लापता चल रहे एक 13 साल के लडक़े की लाश बरामद हुई। तो संबंधित पुलिस कर्मियों ने इसका पोस्टमार्टम कराना भी जरूरी नहीं समझा। बेबस पिता प्लास्टिक की बोरी में अपने 13 साल के बेटे का शव लेकर करीब तीन किलोमीटर तक पैदल चला। तीन किलोमीटर के बाद उसे साधन मिल सका और इसके बाद वह शव लेकर थाने पहुंचा। मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाली इस घटना को लेकर पुलिस ने जिम्मेदारी लेने की बजाय जांच और कार्रवाई की बात कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। भागलपुर जिले के गोपालपुर थाना क्षेत्र के करारी तीनटंगा निवासी लेरू यादव का 13 साल का बेटा हरिओम 26 फरवरी को नाव से गंगा नदी पार करते समय गहरे पानी में गिर गया था। नाविकों ने पानी में उसकी तलाश भी की, लेकिन पता नहीं चल सका। बेबस पिता ने इस घटना को लेकर गोपालपुर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। जवानी की दहलीज पर खड़े बेटे को खोने से गमगीन पिता को भला कहां चैन आता। लेरू पुत्र की तलाश में जुटा रहा।
भागलपुर जिला निवासी बच्चे के पिता ने बताया कि गोपालपुर थाना क्षेत्र के तीनटंगा गांव में नदी पार करने के दौरान उसका 13 वर्षीय बेटा हरिओम यादव नाव से गिर गया था। इसके बाद वह लापता हो गया था। इस बाबत गोपालपुर थाना में भी गुमशुदगी का मामला दर्ज कराया गया था। लेरू ने बच्चे की खोजबीन शुरू की तो पता चला कि बेटे का शव कटिहार जिले के कुर्सेला थाना क्षेत्र के खेरिया नदी के तट पर तैर रहा है।
इस सूचना पर पिता लेरू यादव जब घाट पर पहुंचे तो उनके बेटे का शव बुरी हालत में मिला। मासूम की लाश के साथ सड़ी-गली हालत में थी। उसे जानवरों ने नोच डाला था। बच्चे के कपड़े और शारीरिक अंगों के आधार पर उसकी पहचान तो हो गई, लेकिन इसके बाद शुरू हुई सिस्टम की संवेदनहीनता। शव को लाने के लिए न तो भागलपुर जिले की गोपालपुर थाना पुलिस और न ही कटिहार जिले के कुर्सेला पुलिस ने संजीदगी दिखाई। शव को ले जाने के लिए दोनों जिलों की पुलिस ने एंबुलेंस बुलाना भी जरूरी नहीं समझा।
अंत में मजबूर पिता अपने कलेजे के टुकड़े की शव को बोरे में बंद कर घर की ओर चल पड़ा। पुलिस की लापरवाही को लेकर मासूम के पिता नीरू यादव ने कहा कि करे तो क्या करे कोई। थाना पुलिस ने न तो गाड़ी उपलब्ध करवाई और न कोई सहानुभूति दिखाई, इसलिए शव को इसी तरह लेकर आना पड़ा।