परेशानी से जूझ रहे हैं सीमांत गांवों के लोग
देहरादून। सीमांत जिलों में पड़ी आपदा की मार इस बार माइग्रेशन पर भारी पड़ रही है। उच्च हिमालय में बढ़ती ठंड से माइग्रेशन पर गए ग्रामीण एक पखवाड़े पूर्व ही वापस लौटने लगे हैं। वहीं आपदा से क्षतिग्रस्त मार्गों की खराब हालत ग्रामीण और जानवरों दोनों के लिए बड़ा परेशानी का सबब बन रही है।
सीमांत जिले की धारचूला और मुनस्यारी तहसील के ग्रामीण माइग्रेशन यानी छह माह के लिए उच्च हिमालयी गांवों में प्रवास करते हैं। धारचूला तहसील की दारमा व व्यास घाटी और मुनस्यारी तहसील के मल्ला जोहार में माइग्रेशन होता है। अप्रैल से गर्मी बढऩे के साथ ग्रामीण और चरवाहे अपने जानवरों को लेकर उच्च हिमालय में स्थित अपने मूल गांवों में चले जाते हैं। छह माह तक खेती और पशुपालन करने वाले ग्रामीण अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से वापस घाटियों की ओर आने लगते हैं। मुनस्यारी के उच्च हिमालयी गांवों तक सड़कें नहीं होने से यहां पैदल ही आवागमन होता है।
इस वर्ष मानसून काल में हुई बारिश से मुनस्यारी-मिलम पैदल मार्ग कई जगह क्षतिग्रस्त पड़ा है। पैदल मार्ग के ठीक ऊपर सीमा सड़क संगठन सड़क निर्माण का काम करा रहा है। जिसका मलबा लगातार पैदल मार्ग पर गिर रहा है। उधर धारचूला तहसील में दारमा घाटी को जोडऩे वाला मार्ग 110 दिनों से बंद पड़ा है। व्यास घाटी के कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग में भी जगह-जगह आपदा ने खलल डाला है।
उच्च हिमालय में बढ़ गई ठंड
इस वर्ष मानसून काल में ज्यादा बारिश के चलते उच्च हिमालय में ठंड भी बढ़ गई है। मल्ला जोहार के ग्रामीणों का पहला दल घाटियों की ओर रवाना हो चुका है। लेकिन मुनस्यारी-मिलम पैदल मार्ग ध्वस्त होने के चलते ग्रामीणों को जानवरों के साथ सफर करना बेहद मुश्किल हो रहा है। तीन दिन पूर्व मापांग के पास क्षतिग्रस्त मार्ग से गिरकर दो घोड़े गोरी नदी में समा चुके हैं। दारमा घाटी से अभी माइग्रेशन शुरू नहीं हुआ है, लेकिन उच्च हिमालय में चार बार हो चुके हिमपात के चलते बढ़ी ठंड ग्रामीणों को जल्द घाटियों की ओर लौटने का इशारा कर चुकी है।
वर्ष में दो बार प्रवास करते हैं 30 गांवों के लोग
धारचूला और मुनस्यारी तहसील के 30 गांव वर्ष में दो बार प्रवास करते हैं। घाटियों में वापस आने वाले पशुपालक अपनी भेड़-बकरियां लेकर दिसंबर से तराई-भाबर की ओर रवाना हो जाते हैं और मार्च में गर्मी बढऩे पर लौट आते हैं। एसडीएम मुनस्यारी बीएस फोनिया का कहना है कि मुनस्यारी-मिलम पैदल क्षतिग्रस्त मार्ग को ठीक करने के लिए लोनिवि की गैंग तैनात कर दी है। कार्य तेजी से कराया जा रहा है। जल्द ही मार्ग को ठीक कर लिया जाएगा। माइग्रेशन के दौरान सड़क निर्माण के कार्य में सावधानी रखने के निर्देश सीमा सड़क संगठन को दे दिए गए हैं। वहीं एसडीएम धारचूला एके शुक्ला का कहना है कि दारमा मार्ग में कुछ स्थानों पर सड़क बह जाने से नई सड़क काटने को लेकर विवाद था, जिसे सुलझा लिया गया गया है। दारमा वैली में माइग्रेशन शुरू होने तक सड़क खोल ली जाएगी।