परेशान रिटायर कर्मचारी ने खोली सिस्टम की पोल.. अधिकारी झांकने लगे बगलें

देहरादून। पीएफआरडीए की ओर से आयोजित वार्षिक साक्षरता कार्यक्रम के दौरान अधिकारी उस समय असहज हो गए, जब टिहरी गढ़वाल से आए रिटायर कर्मचारी ने सिस्टम की पोल खोल दी। कुछ देर पहले तक अपनी लुभावनी पेंशन स्कीमें बता रहे बीमा कंपनियों के अधिकारी भी बगलें झांकने लगे। रिटायर कमचारी बोले, पहाड़ी इलाकों में समस्याएं हल नहीं होती। समस्या लेकर देहरादून आना पड़ता है। ऐसे तो सरकार मुझे मजबूर करना चाहती है कि मैं भी पलायन कर देहरादून में बस जाऊं। टिहरी के खांकर (नरेंद्रनगर) गांव निवासी युद्धवीर सिंह ने बताया कि वह ग्राम प्रधान हैं। 24 साल सेना में नौकरी की। 2003 में रिटायर हुए। उसके बाद रक्षा मंत्रालय से दूसरी नौकरी मिली। देहरादून में सेवाएं दीं। नियुक्ति प्रक्रिया में देरी के कारण राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के दायरे में आए। 60 साल उम्र होने पर 28 फरवरी 2019 को दूसरी नौकरी से रिटायर हुए। लगभग 12 लाख रुपये जमा थे। 60 फीसदी रकम एकमुश्त मिल गई। 40 फीसदी रकम पेंशन प्लान में गई। आरोप लगाया कि विभाग ने उनकी इच्छा जाने बिना एक बीमा कंपनी का पेंशन प्लान दे दिया, लेकिन अब तक पेंशन चालू नहीं हुई। बीमा कंपनी के चक्कर काट रहे हैं। दो बार गांव से देहरादून आए। होटल में रुके, लेकिन काम नहीं हुआ। न बीमा कंपनी में सुनवाई है न एनएसडीएल पत्र का जवाब देती है। पहाड़ में नेटवर्क की समस्या रहती है। हेल्पलाइन में कैसे लंबे समय तक बात करें। उन्होंने कहा कि वह रिटायरमेंट के बाद पहाड़ में गए। दुरस्त क्षेत्र के लोगों की सुनवाई कहां होगी। पलायन के लिए मजबूर होना होगा। मामले में पीएफआरडीए के चीफ जनरल मैनेजर के मोहन गांधी ने तुरंत ऑफिसर्स को समस्या का समाधान करने के निर्देश दिए।

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