नर्सिग संवर्ग भर्ती को लेकर फिर सुर्खियों में एम्स ऋषिकेश

ऋषिकेश। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश फिर सुर्खियों में है। इस बार नर्सिग संवर्ग भर्ती को लेकर मामला गरमा गया है। बीते चार साल में डॉक्टर, नर्सिंग स्टाफ समेत करीब एक हजार से अधिक स्थाई भर्ती की गईं। आरोप यह भी है कि पैरामेडिकल भर्ती में जितने पदों के लिए विज्ञापन निकाले गए, भर्ती उससे ज्यादा पदों पर कर दी गई। इन मामलों को लेकर संस्थान संदेह के घेरे में है। हालांकि, एम्स प्रशासन का दावा है कि केंद्र सरकार के नियमों के अनुरूप ही पारदर्शी प्रक्रिया के तहत सभी पदों पर भर्ती की गई है।

कभी आउटसोर्स कर्मचारी तो कभी स्थाईकर्मियों की नियुक्ति को लेकर हमेशा ऋषिकेश एम्स चर्चाओं में रहता है। इस बार भी नर्सिंग के पदों को लेकर एम्स प्रशासन पर सवाल उठ रहे हैं। बीते पांच साल में दो निदेशकों के कार्यकाल में एम्स प्रशासन ने करीब आठ सौ लोगों को नर्सिंग के पदों पर नियुक्त दी। इसके अलावा करीब दो सौ डॉक्टर, इतने ही दूसरे स्थाई कर्मी तैनात किए गए। जबकि, डेढ़ हजार से अधिक आउटसोर्स कर्मी भी संस्थान में काम कर रहे हैं। आउटसोर्स कंपनियों पर भी कर्मियों की तैनाती को लेकर सवाल उठते रहे हैं। वहीं, इस बार नर्सिंग भर्तियों पर सवाल उठे हैं। ऐसे में सवाल यह है कि क्या यह भर्तियां गलत तरीके से की गई हैं?

एम्स के पीआरओ हरीश थपलियाल का कहना है कि भर्ती केंद्र सरकार के मानकों के अनुरूप की जाती है। इसमें पूरी पारदर्शिता अपनाई गई है। पूर्व एम्स निदेशक संजीव मिश्रा के कार्यकाल में 2017 में 200 नर्सिग पदों पर भर्ती की गई। जबकि, इसके बाद बीते चार साल में पांच बार करीब छह सौ पदों पर नर्सिंग स्टॉफ तैनात किया गया। इसके लिए देश के करीब 56 शहरों में परीक्षा केंद्र बनाए गए थे। सभी परीक्षाएं दिल्ली एम्स के अधीन होती हैं। इसलिए गलत तरीके से भर्ती की बात निराधार है। एक ही राज्य से छह सौ लोगों को भर्ती किये जाने की बात पर उनका कहना है कि योग्य अभ्यर्थियों की संख्या किसी भी राज्य में अधिक हो सकती है।

जन विकास मंच ने की जांच की मांग
जन विकास मंच के अध्यक्ष आशुतोष शर्मा का कहना है कि स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने की मांग को लेकर उन्होंने तीन माह से अधिक आंदोलन चलाया। इसमें तृतीय एवं चतुर्थ पोस्ट पर स्थानीय की भर्ती का भरोसा एम्स प्रशासन ने दिया था, लेकिन बावजूद इसके स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिल पाया। उन्होंने नर्सिंग भर्ती की जांच करने की मांग उठाई। वहीं, यूजेपी के नेता कनक धनाई का कहना है कि उन्होंने हमेशा एम्स प्रशासन की कार्यप्रणाली में सुधार लाने की बात कही है। इसके लिये उन्होंने आंदोलन भी चलाया। उत्तराखंड के बेरोजगारों को ही नौकरी में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इसके लिये वह फिर आंदोलन करेंगे। उन्होंने भी भर्ती में जांच की मांग की।