निर्वाचन आयोग की मंशा पर उठे सवाल, यशपाल आर्य बोले- सचिव ने पेश किया अर्धसत्य

देहरादून (आरएनएस)। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने राज्य निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पंचायत चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए सत्ताधारी दल द्वारा संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग के सचिव की ओर से जारी एक पत्र इस बात का प्रमाण है कि सरकार चुनावी मशीनरी का दुरुपयोग कर रही है।
बुधवार को मीडिया से बातचीत में आर्य ने कहा कि उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम 2016 और संशोधन अधिनियम 2019 का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए नगर निकाय में मतदान कर चुके लोगों को अब पंचायत चुनाव लड़ने का अधिकार दे दिया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह निर्णय स्पष्ट रूप से अर्धसत्य के आधार पर लिया गया है और इसके पीछे राजनीतिक दबाव काम कर रहा है।
आर्य ने बताया कि आयोग ने अपने आदेश में उत्तराखंड पंचायत राज अधिनियम 2016 की धारा 9(13), 10(ख)(1), 54(3) और 91(3) का हवाला देकर यह दावा किया है कि किसी ग्राम पंचायत में दर्ज मतदाता को पंचायत चुनाव लड़ने का अधिकार है। लेकिन सचिव ने इन धाराओं का अंश मात्र उपयोग कर वास्तविक और सम्पूर्ण कानूनी स्थिति को छिपाया है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि अधिनियम की धारा 9(6) और 9(7) के अनुसार जिन व्यक्तियों के नाम नगरीय क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज हैं, उन्हें ग्राम पंचायत की मतदाता सूची में शामिल नहीं किया जा सकता। इसके अतिरिक्त जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा 17 और 18 भी ऐसे प्रावधानों को स्पष्ट करती हैं।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह निर्णय निर्वाचन की निष्पक्षता पर सीधा हमला है और इससे स्पष्ट होता है कि भारतीय जनता पार्टी को लाभ पहुंचाने के लिए संविधान सम्मत व्यवस्था को दरकिनार किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि निर्वाचन आयोग तत्काल इस आदेश को वापस ले और ऐसे प्रत्याशियों का निर्वाचन निरस्त करे, जो नगर निकाय के मतदाता रहे हैं और अब पंचायत चुनाव लड़ रहे हैं।
आर्य ने कहा कि कांग्रेस इस मुद्दे को पूरी गंभीरता से उठाएगी, क्योंकि यह न केवल पंचायत चुनावों की शुचिता पर प्रश्नचिह्न लगाता है, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया को कमजोर करने का प्रयास भी है।