निर्जला एकादशी पर्व पर लौटी त्रिवेणीघाट की रौनक

ऋषिकेश। निर्जला एकादशी पर्व पर तीर्थनगरी ऋषिकेश की हृदयस्थली त्रिवेणीघाट पर 56 दिन बाद रौनक लौटी। यहां कोविड कर्फ्यू के चलते आवाजाही बहुत कम थी। सोमवार को बाहरी प्रांतों से आए और स्थानीय श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया। लक्ष्मी नारायण की विधिविधान से पूजा अर्चना की। ब्राह्मणों को मिट्टी से बनी सुराही, हाथ वाले पंखे आदि का दान किया। स्नान दान का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा।सोमवार तडक़े से ही श्रद्धालु त्रिवेणीघाट का रुख करने लगे। मौसम ने भी पूरा साथ दिया। तीन दिन बाद धूप खिली। जलस्तर में वृद्धि के चलते अधिकांश श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी नहीं लगाई। घाट किनारे लोटे में जलभरकर स्नान किया। बाहरी प्रांतों से आए कुछ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगायी। स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने पूजा अर्चना की। घाट परिसर में श्रद्धालुओं से धार्मिक अनुष्ठान करा रहे पंडित मुकेश मिश्रा ने बताया कि निर्जला एकादशी में लक्ष्मी नारायण की आराधना की जाती है। बताया कि हरियाणा, यूपी, राजस्थान और बिहार से आए श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से पूजा अर्चना की। त्रिवेणीघाट पर सुराही और हाथ के पंखे की बिक्री के स्टॉल जगह-जगह लगे नजर आए।

श्रद्धालुओं को शरबत बांटा
ऋषिकेश। त्रिवेणीघाट पर श्रद्धालुओं को शरबत का प्रसाद बांटा गया। पंडित वेदप्रकाश शर्मा ने बताया कि निर्जला एकादशी में मीठा शरबत बांटने का खासा महत्व है। कोविड संकट के चलते शरबत का स्टाल त्रिवेणीघाट पर ही लगाया गया है। सामान्य दिनों में इस दिन शहर में जगह-जगह स्टाल लगाकर राहगीरों को शरबत बांटा जाता है।

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