नैनीताल में सुयालबाड़ी में मिले दसवीं सदी की मूर्तियां व चक्र

नैनीताल। नैनीताल जिले के सुयालबाड़ी क्षेत्र की ढोकाने ग्राम सभा में सडक़ खुदाई के दौरान पत्थर का एक विशाल चक्र, दो भूमि आंवलक,एक स्तंभ व कुछ मूर्तियां मिली हैं। जेसीबी की मदद से ग्रामीणों ने इस विशाल चक्र व मूर्तियों को बाहर निकालकर एक स्थानीय मंदिर में रखवा दिया है। वहीं पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि अनुमान के मुताबिक इस तरह की मूर्तियां व चक्र करीब दसवीं से ग्यारहवीं सदी में बने मंदिरों के अवशेष है। पर मौके पर जाकर इनकी जांच के बाद ही इनके बारे में कोई पुख्ता बात कही जा सकती है। वहीं ग्रामीणों ने इस विशाल चक्र की पूजा शुरू कर दी है। रविवार शाम को सुयालबाड़ी क्षेत्र के ढोकाने सुयालबाड़ी ग्राम की लिंक सडक़ बनाने का काम चल रहा था। जेसीबी की मदद से गांव के एक छोर पर खुदाई चल रही थी। इसी बीच जेसीबी एक बडे पत्थर से टकराई। ऑपरेटर ने जब अधिक जोर लगाया तो एक पत्थर का चक्र का कुछ हिस्सा बाहर निकल आया। स्थानीय ग्रामीण व भाजपा मंडल अध्यक्ष रमेश सुयाल ने बताया कि खुदाई में निकला यह चक्र करीब पांच कुंतल से अधिक वजनी लग रहा है। कुछ मूर्तियों के टूटे हिस्से भी मिले हैं। उन्होंने बताया कि यहां पूर्व में भी कई पुरानी मूर्तियां मिल चुकी हैं जिस कारण ग्रामीणों ने यहां पर एक मंदिर भी बनवाया है।

इलाके में मिलती रही हैं पुरानी मूर्तियां
ग्रामीणों के अनुसार इलाके में पहले भी कई पुरातात्विक महत्व की मूर्तियां मिलती रही हैं। यहां मिली मूर्तियों के लिए एक स्थानीय मंदिर बनाया गया है। 2006 में ग्रामीणों ने इसका जीर्णाद्वार भी किया था। उस समय भी यहां पर करीब छह से आठ मूर्तियां मिली हैं।
देखने में मूर्तियां करीब दसवीं से ग्यारहवीं सदी की मालूम पड़ रही है। इसमें दो भूमि आंवलक, एक स्तंभ व एक चक्र है। स्थानीय प्रशासन हमें सहयोग करे तो यहां मिली मूर्तियों के रहस्य का पता लगाया जा सकता है। यह कुमाऊं के प्राचीन इतिहास का हिस्सा हो सकते हैं।
-डॉ. चंद्र सिंह चौहान, आर्कीलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया
पूर्व में मिली मूर्तियों की सूचना किसी को नहीं: पूर्व में भी ग्राम सभा के आसपास के क्षेत्रों में कई मूर्तियां मिल चुकी हैं। पर पुरातत्व विभाग को इसकी सूचना नहीं दी गई। जिस कारण पुरातत्व विभाग के पास इस क्षेत्र में पुरानी मूर्तियां आदि मिलने की कोई जानकारी नहीं है। जबकि वैज्ञानिक तरीके से इनका परीक्षण किया जाए तो यह कुमाऊं के इतिहास में नए अध्याय जोड़ सकता है।