नई शिक्षा नीति आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम : मोदी

विश्वभारती यूनिवर्सिटी में बोले पीएम

नई दिल्ली ,19 फरवरी (आरएनएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के विश्वभारती विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस संबोधन के दौरान पश्चिम बंगाल के राज्यपाल और विश्वभारती के रेक्टर जगदीप धनखड़, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक और शिक्षा राज्य मंत्री संजय धोत्रे भी मौजूद हैं। दीक्षांत समारोह में कुल 2,535 छात्रों को डिग्री दी जाएगी। शांति निकेतन में स्थित विश्वभारती की स्थापना रवींद्रनाथ टैगोर ने 1921 में की थी। यह देश का सबसे पुराना केंद्रीय विश्वविद्यालय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती, इसी सोच के साथ इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। ज्ञान में हमेशा ही सुधार की गुंजाइश रहती है। पीएम मोदी ने कहा कि सत्ता में रहते हुए संवेदनशील रहना जरूरी होता है, ऐसे ही हर विद्वान को जिम्मेदार होना पड़ता है।
पीएम मोदी ने कहा कि जो लोग दुनिया में आतंक फैला रहे हैं, उनमें भी शिक्षित लोग जो हाइली स्किल वाले लोग हैं। पीएम मोदी ने कहा कि हमें सोचना होगा कि हम समस्या बनना चाहते हैं या फिर समाधान करना चाहते हैं। अगर आपकी नीयत साफ है, तो आपका हर आचरण कोई ना कोई समाधान जरूर निकालेगा।
पीएम मोदी ने कहा कि नई शिक्षा नीति छात्रों को सामर्थ्य दिखाने की आजादी देती है। यह इनोवेशन और स्किल डेवलेपमेंट की आजादी देती है। अपनी भाषा में पढऩे की आजादी देती है। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने में मदद करेगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली बार जेंडर इन्क्लुजन फंड की भी व्यवस्था की गई है।
पीएम मोदी ने कहा कि सफलता-असफलता हमारा भविष्य तय नहीं करतीं, फैसला लेने से अगर कोई डर लगने लगे तो हमारे लिए संकट है। अगर फैसला लेने की हिम्मत चली गई, तो समझ लीजिए कि आप युवा नहीं रही। पीएम मोदी ने विश्वभारती यूनिवर्सिटी के छात्रों से अपील करते हुए कहा कि वो सभी अगले 25 सालों के लिए एक विजन डॉक्यूमेंट बनाएं, जिनमें अपने लक्ष्यों को तय करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीवादी धर्मपाल के एक किस्से का जिक्र किया। पीएम मोदी ने बताया कि 1820 में भारत की साक्षरता दर काफी ऊंची थी, तब गांवों में गुरुकुल, मंदिर में पढ़ाई अधिक होती थी। पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिटिश शिक्षा पद्धति भारत में थोपे जाने से पहले थॉमस मुनरो ने माना था कि हमारी शिक्षा व्यवस्था शानदार है। लेकिन उसके बाद के कालखंड में लगातार शिक्षा के क्षेत्र को उतना बल नहीं मिल पाया।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरे लिए दीक्षांत समारोह को हिस्सा बनना प्रेरक है। पीएम मोदी ने कहा कि आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जन्म जयंती भी है, गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने शिवाजी उत्सव नाम से कविता लिखी थी।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि गुरुदेव टैगोर ने जो एकता का संदेश दिया, उसे कभी ना भूलें। गुरुदेव ने इस यूनिवर्सिटी में भारत की आत्मा को जिंदा रखा और उसकी पहचान को आगे बढ़ाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गुरुदेव टैगोर के लिए विश्वभारती सिर्फ ज्ञान परोसने वाली संस्था नहीं थी, ये प्रयास है जिसके जरिए भारतीय संस्कृति को शीर्ष पर पहुंचाने की भावना है।

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