मृत माता-पिता के नाम पर डीलर ने लिया राशन, लाइसेंस निलंबित

हरिद्वार(आरएनएस)।  पथरी क्षेत्र के गांव पदार्था स्थित वन गुर्जर बस्ती में सरकारी सस्ते-गल्ले की दुकान से डीलर ने अपने मरे हुए माता और पिता के नाम पर राशन ले लिया। इस बात का खुलासा तब हुआ, जब गांव के लोगों ने प्रशासन से शिकायत की। जांच में मामला सही पाए जाने पर डीलर का लाइसेंस निलंबित कर दिया गया है। इसके अलावा भी राशन वितरण में कई अन्य तरह की अनियमितताएं भी सामने आई हैं। गांव पदार्था स्थित वन गुर्जर बस्ती में सरकारी सस्ते-गल्ले की दो दुकान आवंटित की गई है। आरोप है कि एक दुकान के राशन डीलर गनी ने राशन वितरण में गड़बड़ी की। गुर्जर बस्ती निवासी जुम्मन और मियां ने राशन डीलर के खिलाफ सूचना का अधिकार के तहत कुछ सूचना मांगी थी। सूचना में पता चला कि डीलर ने मृतक का राशन भी वितरण किया हुआ है और उसके हस्ताक्षर भी किए हुए हैं। इसके अलावा कुछ व्यक्तियों के राशन में डीलर ने गड़बड़ी की हुई है। इतना ही नहीं, डीलर ने अपने मृतक माता-पिता का राशन भी वितरित किया हुआ दिखाया है, जबकि उनके पिता का पहले ही देहांत हो चुका है। डीलर की ओर से अधिकांश कार्ड पर राशन नहीं दिया जा रहा है, जबकि डीलर ने उनका राशन रजिस्टर में चढ़ाया हुआ है। सूचना के अधिकार में प्राप्त सूचना पर दुकान व अभिलेखों की जांच की गई तो मामला सही पाया गया। फिलहाल, खाद्य पूर्ति अधिकारी की जांच के बाद जिलाधिकारी ने अग्रिम आदेशो तक डीलर की दुकान को निरस्त कर दिया है। दुकान को अन्य राशन डीलर से अटैच किया जाएगा, ताकि राशन उपभोक्ताओं को राशन लेने में आसानी हो सके। वही, मामले में जिलाधिकारी ने डीलर को अभिलेखों के साथ कार्यालय में पेश होने के आदेश जारी किया है। खाद्यपूर्ति इंस्पेक्टर रवि सनवाल ने बताया गुर्जर बस्ती के डीलर को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए दुकान का संचालन अनुबंध तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है।

माता का निधन हुआ वर्ष 2021 में 2022 में नाम से दे दिया राशन
डीएम कमेंद्र सिंह की ओर से किए गए आदेश में बताया गया है कि राशन डीलर गनी की माता का निधन 26 अगस्त 2021 में हुआ था, 20 सितंबर 2021 को मृत्यु प्रमाण पत्र जारी किया गया था। आरोप है कि राशन डीलर ने अपनी माता और पिता के नाम पर दो जनवरी को 2022 में भी राशन ले लिया। जबकि, पिता का निधन माता से भी पूर्व में हो चुका है। आदेश में यह नहीं बताया गया कि पिता का निधन कब हुआ था। इसी तरह गांव में ही एक व्यक्ति को कागजों में सात यूनिट का राशन दिया जा रहा था, जबकि परिवार में एक ही यूनिट का राशन पहुंच रहा था। इसी तरह एक परिवार में दो ही यूनिट राशन मिल रहा था, जबकि दस्तावेज में चार लोगों के नाम लिखे हैं।