मेयर ने स्थगित की बैठक, विधायक-पार्षद भड़के

रुड़की। आचार संहिता हटने के बाद नगर निगम की बोर्ड बैठक मंगलवार को प्रस्तावित थी। बोर्ड बैठक के लिए एजेंडा भी जारी कर दिया गया था। बैठक में 263 करोड़ का बजट पास कराने से लेकर 64 प्रस्ताव शामिल किए गए थे। पार्षद बैठक की तैयारी में जुटे थे, लेकिन सोमवार देर शाम मेयर गौरव गोयल ने एक पत्र जारी कर बैठक स्थगित कर दी। इसका कारण अपरिहार्य बताया गया। मेयर की ओर से बैठक स्थगित किए जाने के बाद भी मंगलवार को करीब 25 पार्षद सभागार में एकत्र हुए। निगम के पदेन सदस्य और विधायक प्रदीप बत्रा भी बैठक में पहुंचे। बैठक में नगर आयुक्त को भी बुलाया गया। विधायक बत्रा ने कहा कि शहर के विकास और जनहित कार्यों के लिए बोर्ड बैठक होना अनिवार्य है। यह कोई मजाक नहीं है कि कभी भी बैठक रद्द कर दी जाए। उन्होंने कहा कि शहर के विकास को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए। जनप्रतिनिधि जनता के चुने हुए हैं और उनके कार्यों के लिए प्रत्येक जनप्रतिनिधि को अपने धर्म का पालन करना चाहिए। विधायक ने पार्षदों से कहा कि बैठक करवाने को लेकर वह एक ज्ञापन ज्वाइन्ट मजिस्ट्रेट और डीएम को सौंपे।

पार्षदों और आयुक्त ने एक दूसरे पर उठाए सवाल
पार्षद विवेक चौधरी ने कहा कि आज की बोर्ड बैठक बजट बैठक थी और जनहित के कई प्रस्ताव इसमें पास होने थे। लेकिन मेयर ने तानाशाही फरमान जारी करके व्हाट्सएप पर बैठक स्थगित करने की सूचना दी। जिसका कोई ठोस कारण नहीं बताया जो कि किसी भी तरीके से ठीक नहीं है। उन्होंने मेयर को शहर के विकास में बाधा बताया। कहा कि पार्षद शहर के विकास के लिए कार्य करना चाहते हैं। पार्षद राकेश गर्ग ने कहा कि शहर में डिवाइडरों पर पेंट कराने का कार्य चल रहा है। कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि कार्य को चार टुकड़ों में बांटकर ढाई-ढाई लाख के कार्य एजेंसी के माध्यम से दिए गए हैं। जिस व्यक्ति को यह एजेंसी दी गयी है वह रुड़की से बाहर का है। पार्षद संजीव तोमर, पंकज सतीजा ने नगर आयुक्त को कार्य में पारदर्शिता को लेकर घेरा। पार्षद सतीजा की नगर आयुक्त से नोंकझोंक हुई। नगर आयुक्त ने पार्षदों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि पार्षद उनसे सवाल बैठक में ही क्यों उठाते हैं। वह हमेशा कार्यालय में बैठते हैं तब पार्षद क्यों नहीं आते। इस पर पार्षद राकेश गर्ग ने कहा कि अकेले पार्षद उनके पास जाएं तो कोई उनकी सुनता ही नहीं है। नगर आयुक्त विजय नाथ शुक्ला ने कहा कि यह सही है कि बैठक जरूरी थी। लेकिन मेयर को बैठक स्थगित करने का अधिकार है। यह भी सही है बैठक को स्थगित किये जाने का कारण भी बताया जाना आवश्यक था। उन्होंने कहा कि मेयर और पार्षदों के बीच वह कुछ नहीं कहना चाहते सभी के अधिकार सुरक्षित हैं। नियमानुसार अगर मेयर ने बैठक स्थगित की है तो 15 दिन के अंदर ही दूसरी बैठक बुलानी होगी।

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