महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ज्यादा कोरोना वायरस का असर
भारत में हुए शोध में खुलासा
नई दिल्ली (आरएनएस)। कोरोना वायरस बेशक देश, राज्य, शहर, धर्म और जाति देखकर शिकार ना कर रहा हो, लेकिन लिंग भेद जरूर कर रहा है। दुनिया भर की रिसर्च और आंकड़ों के मुताबिक कोरोना पुरुषों और महिलाओं के बीच फर्क कर रहा है। वायरस के शिकार पुरुष ज्यादा हो रहे हैं जबकि महिलाएं कम।
मध्यप्रदेश स्थित इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के शोधार्थी द्वारा की गई रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना के खतरे की इस भिन्नता की वजह महिला और पुरुषों में उनके लिंग के अनुसार पाए जाने वाले अलग-अलग हार्मोन हैं। विश्वविद्यालय के इस शोध निष्कर्ष को जाने-माने अमेरिकी जर्नल करंट कैंसर ड्रग टारगेट्स के ताजा अंक में भी प्रकाशित किया गया है। विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी के शोध टीम के प्रमुख डॉ. हमेंद्र सिंह परमार ने कहा, ग्लोबल हेल्थ 5050, जो स्वास्थ्य क्षेत्र में लैंगिक भेदभाव के खिलाफ काम करती है और आंकड़े जुटाती है, उसने 50 देशों के कोरोना के आंकड़े जारी किए थे। नवंबर 2020 तक कोरोना से मरने वालों के साथ ही गंभीर मामलों में पुरुषों की संख्या महिलाओं के मुकाबले कहीं ज्यादा थी। मौत के मामले में भी पुरुषों की संख्या महिलाओं से करीब तीन गुना ज्यादा है। यानी महिलाओं में कोविड से मौत की खतरा करीब तीन गुना कम है।
उन्होंने आगे कहा कि ब्रेस्ट कैंसर की दवाओं और उपचार के प्रबंध के शोध के दौरान हमने कोविड के असर को भी अध्ययन का विषय बनाया। क्योंकि पहले से ही कैंसर, मधुमेह और दिल की बीमारी से पीडि़तों को कोरोना संक्रमण के खतरे के मामले में पहले पायदान पर रखा गया था। दुनियाभर में प्रमुख रूप से हुए 250 शोधों के आंकड़ों की तुलना और अध्ययन के बाद सामने आया कि कोरोना संक्रमण के असर में महिलाओं में पाया जाने वाला हार्मोन एस्ट्रोजन और पुरुषों में पाया जाने वाला हार्मोन टेस्टेस्टोरॉन अलग-अलग भूमिका अदा कर रहे हैं। स्त्री हार्मोन एस्ट्रोजन कोरोना संक्रमण और गंभीरता का खतरा कम कर रहा है। डा. परमार आगे बताते है कि कोरोना किसी भी मानव शरीर में एसीई-2 रिसेप्टर के जरिए प्रवेश होता है। एस्ट्रोजन शरीर में एसीई-2 रिसेप्टर की संख्या कम कर देता है। जबकी पुरुष हार्मोन इस रिसेप्टर को शरीर में बढ़ाता है। एसीई-2 रिसेप्टर कम होने से कोरोना संक्रमण की चपेट में आने का खतरा महिलाओं में कम हो जाता है। साथ ही एस्ट्रोजन से शरीर में घुलनशील एसीई-2 रिसेप्टर ज्यादा बनते हैं। स्त्री हार्मोन शरीर को एंटी-इंफ्लेमेटरी (सूजनरोधी) क्षमता भी ज्यादा देता है। इसीलिए महिलाओं की दर्द सहने की क्षमता से लेकर इम्युनिटी भी बेहतर कही जाती है। यही स्त्री हार्मोन महिलाओं में कोरोना का खतरा और गंभीरता कम कर रहा है। जबकि पुरुषों में उनका हार्मोन टेस्टेस्टोरॉन बढ़ा देता है।
शोध टीम ने यह भी निष्कर्ष दिया है कि कोरोना संक्रमण से होने वाली मौतों में महिलाओं की संख्या तीन गुना कम है। संक्रमण के बाद भी महिलाओं के हार्मोंन ही हैं, जो पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में कोरोना की गंभीरता को कम रखते हैं।