मां मनसा देवी मंदिर के पैदल मार्ग पर बंदरों और लंगूरों का आतंक

हरिद्वार(आरएनएस)। हरिद्वार स्थित सिद्धपीठ मां मनसा देवी मंदिर जाने के लिए श्रद्धालुओं के लिए तीन मार्ग हैं। श्रद्धालु उड़ान खटोले, सीढ़ी मार्ग और पैदल मार्ग से मंदिर जाते हैं। दो किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग पर ऊंची चढ़ाई चढ़कर सबसे ज्यादा श्रद्धालु मंदिर दर्शन करने जाते हैं। पैदल मार्ग श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक आस्था का रास्ता है लेकिन यह मार्ग अब बंदरों और लंगूरों के आतंक की वजह से भय का कारण बन गया है। प्रतिदिन करीब 20 हजार श्रद्धालु इस खड़ी चढ़ाई वाले रास्ते से मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं लेकिन रास्ते भर बंदरों की उपद्रवी टोली श्रद्धालुओं को परेशान करती है। ये टोलियां उनसे रास्ते में प्रसाद, फूल, नारियल और पानी की बोतलें छीनने में लगी रहती है। कई बार ये बंदर श्रद्धालुओं के हाथ-पैर पर झपट्टा मार देते हैं, जिससे चोटें लगने की घटनाएं भी सामने आई हैं। कुछ श्रद्धालु तो डर की वजह से बीच रास्ते से ही वापस लौटने को मजबूर हो जाते हैं। ऐसे में बुजुर्ग श्रद्धालुओं के लिए पैदल मंदिर पहुंचना कठीन हो जाता है। श्रद्धालुओं ने कहा कि मां मनसा देवी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि गहरी आस्था और विश्वास का केंद्र है। यहां मार्ग पर डर, खतरा और असुरक्षा का माहौल नहीं होना चाहिए। इसके लिए मंदिर समिति, नगर निगम, वन विभाग और जिला प्रशासन मिलकर इस गंभीर समस्या पर एकजुटता से काम करें। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। अगर बंदरों की समस्या का समाधान समय पर नहीं हुआ, तो भविष्य में कोई बड़ा हादसा होने की संभावना है। स्थानीय लोगों बंदर कई बार झुंड बनाकर हमला करते हैं। प्रशासन की ओर से सुरक्षा के कोई खास इंतजाम नहीं किए गए हैं। न तो बंदरों को नियंत्रित करने के प्रयास हो रहे हैं और न ही मार्ग पर कोई गार्ड या प्रशिक्षित कर्मी तैनात हैं। श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द इस गंभीर समस्या का समाधान किया जाए।

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