लोहारी के ग्रामीणों की आँखों नें झलक रहा मातृभूमि को छोड़ने का दर्द

विकासनगर। व्यासी बांध से विस्थापित लोहारी गांव को प्रशासन ने पूरी तरह खाली करवा दिया है। अब गांव में कोई भी परिवार नहीं रह रहा है। लेकिन गांव के लोग अब भी गांव में छूटी हुई अपनी पैतृक संपत्ति को समेटने में लगे हैं। गांव के लोग अपने तोड़े हुए मकानों की खिड़की, दरवाजे, चौखट के अलावा अन्य छोटा मोटा सामान शनिवार को भी समेटते नजर आये। शुक्रवार को प्रशासन ने लोहारी गांव को पूरी तरह से खाली करा दिया। प्रशासन की मौजूदगी में ग्रामीणों ने अपने मकान और अन्य संपत्ति को खुद ही ध्वस्त कर दिया था। संपत्ति की सामग्री को उठाकर ग्रामीण अपने साथ ही अपने नए ठिकानों पर ले जा रहे हैं। शुक्रवार को ग्रामीणों ने तोड़फोड़ तो पूरी कर दी, लेकिन अब भी गांव में उनका काफी सारा सामान छूटा हुआ है। जिसमें बर्तन, लकड़ी से निर्मित सामान बचा है। गांव के लोग घरों के छत की टिन, दरवाजे, खिड़की, चौखट, बर्तन, लकड़ी का सामान जो भी बचा हुआ है उसे शनिवार को भी समेटते नजर आये। गांव कुछ ही दिन में पूरी तरह से जलमग्न हो जाएगा। ऐसे में गांव के लोग अपनी इस छूटी हुई संपति को जहां दोबारा उपयोग में लाने के लिए ले जा रहे हैं वहीं इस संपति को इसलिए भी समेट रहे हैं कि उनका पैतृक गांव तो पूरी तरह से बांध की झील में समा जाएगा, लेकिन गांव की पैतृक संपत्ति उनके पास निशानी के रूप में हमेशा संजोने के लिए रह जाएगी। लोहारी गांव के आंखों में विस्थापन और अपनी मातृभूमि को छोड़ने का दर्द साफ झलक रहा है। कहते हैं कि जो सामान समेट रहे हैं वह अपने गांव की निशानी के रूप में संजोकर रखेंगे।


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