लापरवाही के चलते कोरोना संक्रमण नियंत्रण से हो रहा बाहर
नैनीताल। नैनीताल जिले में कोरोना संक्रमण ने पुराने सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए पहली लहर के मुकाबले ज्यादा लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है। इसकी बड़ी वजह कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही है। बीते दस दिनों में मिले कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़े और संपर्क में आए लोगों की ट्रेसिंग के आंकड़े इस की पुष्टि करते हैं। कंट्रोल रूम से मिले आंकड़ों के अनुसार बीते दस दिन यानी (दस से 21 अप्रैल) के बीच जिले के नगरीय इलाकों में संक्रमितों के संपर्क में आए 4647 लोगों की ट्रेसिंग हुई। ग्रामीण इलाकों में सिर्फ 2966 लोगों को ट्रेस किया गया है। दोनों को मिला दें तो कुल 7613 लोग कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग में मिले हैं। मगर इस अवधि में जिले में तीन हजार 355 नए मरीज पाए गए हैं। इस तरह एक कोरोना मरीज के पीछे केवल दो लोगों की ट्रेसिंग करना ही इस बार संक्रमण के बेकाबू होने का प्रमुख कारण नजर आ रहा है। बीते साल आई कोरोना की पहली लहर में एक कोरोना संक्रमित के पीछे छह से आठ लोगों की ट्रेसिंग हो रही थी। सभी की कोरोना जांच भी कराई जा रही थी। मगर इस बार कितने लोगों की जांच हुई, यह फिलहाल पता नहीं है।
डीएम ने तैनात किए नोडल अधिकारी: डीएम धीराज गब्र्याल ने कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग की पूरी जिम्मेदारी-मॉनीटरिंग के लिए अपर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. अरूण टम्टा को नोडल अधिकारी नामित किया है। हर क्षेत्र में बीआरटी और क्यूआरटी टीमों को भी कोविड मरीजों की जांच से लेकर होम आइसोलेशन-क्वारंटाइन तक की जिम्मेदारी दी है। इस साल आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, नगर निगम और पालिका कर्मचारी, स्वास्थ्य विभाग की टीम ही यह काम कर रही है।
ट्रेसिंग काफी गंभीरता से हो रही है। अब तक ओवरऑल हम करीब 72 हजार लोगों को ट्रेस कर चुके हैं। एक संक्रमित के पीछे करीब पांच लोगों को ट्रेस का औसत आ रहा है। मगर अप्रैल में मरीज ज्यादा तेजी से बढ़े हैं। इसके लिए वेबसाइट पर लगातार जानकारियां अपडेट हो रही हैं। स्वास्थ्य विभाग के साथ आंगनबाड़ी, एलआईयू और नगर निकायों के कर्मी भी टीम बनाकर जुटे हैं। -डॉ. भागीरथी जोशी, सीएमओ नैनीताल