हिट हुआ बिहार की गायिका मैथिली ठाकुर ने जब गाया कुमाऊँनी पारम्परिक निमंत्रण गीत
वैसे तो हमारा देश विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण है, लेकिन अनेकता में एकता ही हमारे देश की पहचान है। रीमिक्स पॉप फ्यूज़न आदि संगीत में प्रयोग होते रहते हैं लेकिन जब कोई शास्त्रीय संगीत गायक किसी प्रान्त/परंपरा विशेष के गाने गाता है तो रस भर जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ जब बिहार की शास्त्रीय गायिका मैथिली ठाकुर ने कुमाऊँ के विवाह कार्यक्रम का निमंत्रण गीत सुआ रे सुआ बनखंडी सुआ गाया। सुआल पथाई कुमाऊनी विवाह परम्परा का अभिन्न हिस्सा है। सुआल पथाई का कार्यक्रम विवाह से एक या तीन अथवा पांच दिन पहले वर व कन्या दोनों के घर पे होता है। सुआल पथाई की इस परम्परा में आटे से बने सुआल और लड्डू बनाये जाते हैं। कन्या और वर पक्ष दोनों इसे एक दूसरे को भेजते भी हैं। सुआल पथाई के समय परिवार की सुहागन स्त्रियां पिछौड़ा ओढ़ती हैं इस दौरान महिलायें पारम्परिक परिधान पहनती हैं और गीत के साथ सुआल पथाई की परम्परा को पूर्ण करती हैं। सुआल पथाई के गीतों में शुभ कार्य की सूचना के साथ लोगों को निमंत्रण देने की बात को कहा जाता है। मैथिली ने जिस अंदाज में यह गाना गाया है वह एहसास ही नहीं होने देती की वह कुमाऊँनी संस्कृति से नहीं हैं। उनका गाया सुआ रे सुआ बनखंडी सुआ उत्तराखंड ही नहीं पूरे देश में कुमाऊँनी, संगीत प्रेमियों की जुबान पर चढ़ गया है।
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