कुमाऊं क्षेत्र में जल गुणवत्ता निगरानी पर कार्यशाला का आयोजन

अल्मोड़ा। उत्तराखंड सरकार के तीन वर्ष पूर्ण होने और अंतरराष्ट्रीय जल दिवस के अवसर पर मानसखंड विज्ञान केंद्र, अल्मोड़ा में दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला का विषय “उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थानों के लिए जल गुणवत्ता निगरानी और व्यावहारिक प्रशिक्षण” था, जिसका उद्देश्य जल संरक्षण और गुणवत्ता सुधार पर जागरूकता बढ़ाना था। कार्यक्रम के शुभारम्भ पर केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी और प्रभारी डॉ. नवीन चंद्र जोशी ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने कार्यशाला की रूपरेखा और विज्ञान केंद्र द्वारा संचालित विभिन्न कार्यक्रमों की जानकारी दी। मुख्य संयोजक डॉ. जी. सी. एस. नेगी ने “उत्तराखंड में जल गुणवत्ता के मुद्दों का अवलोकन” विषय पर व्याख्यान देते हुए प्रदेश में जल गुणवत्ता से जुड़े शोध और प्रयासों को रेखांकित किया। मुख्य वक्ता प्रो. जे. एस. रावत ने “प्रदूषण मुक्त जल के लिए झरनों, नौलों और नदियों के पुनर्भरण क्षेत्रों का संरक्षण” पर व्याख्यान दिया। कार्यशाला के मुख्य अतिथि प्रो. एन. एस. भंडारी ने “जल: जीवन का यौगिक” विषय पर व्याख्यान देते हुए जल की उपयोगिता और संरक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया। मुख्य प्रशिक्षक डॉ. महादेव सेमवाल, निदेशक, ईकॉन प्रयोगशाला एवं परामर्श, देहरादून ने भारतीय मानक ब्यूरो के अनुसार जल के भौतिक, रासायनिक और जैविक मापदंडों पर विस्तृत जानकारी दी। कार्यशाला का संचालन प्रदीप तिवारी ने किया। कार्यशाला में एसएसजे विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के वानिकी विज्ञान, रसायन शास्त्र, वनस्पति विज्ञान और जंतु विज्ञान विभागों के 150 से अधिक छात्रों, शोधार्थियों और प्राध्यापकों ने कार्यशाला में भाग लिया। कार्यक्रम में विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मचारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।