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हमारी सरजमीं पर चीनी कब्जे की सच्चाई क्यों बया नहीं करते पीएम : सिब्बल

नई दिल्ली ,04 जुलाई (आरएनएस)। वरिष्ठ इंका नेता कपिल सिब्बल ने प्रधानमंत्री से प्रश्न किया है, कि क्या वास्तविक व ताजा चित्र ‘पैंगोंग त्सो लेक’ एरिया में ‘फिंगर 4 रिज़’ तक हमारी सरजमीं पर चीनी कब्जे की सच्चाई बयां नहीं करते? क्या यह भारत का ही भूभाग है जिस पर चीनियों द्वारा अतिक्रमण कर राडार, हैलीपैड और दूसरी संरचनाएं खड़ी कर दी गई हैं? उनका कहना है, कि क्या चीनियों ने गलवान घाटी समेत ‘पैट्रोल प्वाईंट-14′, जहां 16 बिहार रेजिमेंट के 20 जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया, पर कब्जा कर लिया है? क्या चीनियों ने भारतीय सीमा के अंदर ‘हॉट स्प्रिंग्स’ इलाके को भी कब्जे में ले लिया है?
क्या चीन ने ‘डेपसांग प्लेंस’ में ‘वाई-जंक्शन’ (एलएसी के 18 किलोमीटर अंदर) तक हमारी जमीन पर कब्जा कर भारत की सामरिक महत्व की ‘डी.बी.ओ. हवाई अड्डे’ को खतरा उत्पन्न कर दिया है, जो ‘सियाचिन ग्लेशियर’ एवं ‘काराकोरम पास’ में हमारी सैन्य आपूर्ति की लाईफलाईन है?
क्या भारत के पूर्व प्रधानमंत्री, श्रीमती इंदिरा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए फॉरवर्ड लोकेशंस में नहीं गए थे? क्या पंडित जवाहर लाल नेहरु 1962 में एनईएफए (हृश्वस्न्र) में फॉरवर्ड लोकेशंस में हमारे सैनिकों का मनोबल बढ़ाने नहीं गए थे? लेकिन ऐसा लगता है कि हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री 230 किलोमीटर दूर ‘नीमू, लेह’ में ही रुके रहे। उन्होंने कहा कि,क्या यह सही नहीं कि लद्दाख में हमारे स्थानीय काउंसलर्स, जिनमें भाजपा के काउंसलर भी शामिल हैं, उन्होंने चीन द्वारा हमारी जमीन पर कब्जा करने के बारे में फरवरी, 2020 में प्रधानमंत्री मोदी को मैमोरेंडम भेजा? प्रधानमंत्री ने उस पर क्या कार्रवाई की? अगर प्रधानमंत्री ने समय रहते कदम उठाया होता, तो क्या हम चीनियों के अतिक्रमण को पहले ही नहीं रोक देते?
समय की मांग है कि भारत चीन की ‘आंखों में आंखें’ डालकर स्पष्ट रूप से बता दे कि चीनियों को भारतीय सरजमीं पर अपने अवैध व दुस्साहसपूर्ण कब्जे को छोडऩा होगा। उन्होंने श्री मोदी को सुझाव दिया है, कि यही एकमात्र ‘राज धर्म’ है, जिसका पालन उन्हें हर कीमत पर करना चाहिए।


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