जुलाई में आ सकती है बच्चों के लिए कोरोना वैक्सीन
नोवावैक्स का क्लिनिकल ट्रायल शुरू करेगा सीरम इंस्टिट्यूट
नई दिल्ली (आरएनएस)। देश में अभी 18 साल से ऊपर के लोगों का कोरोना वैक्सीनेशन हो रहा है। लेकिन 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अभी कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध नहीं है। अब उम्मीद बढ़ी है कि अगले कुछ महीनों में बच्चों के लिए भी कोरोना की वैक्सीन उपलब्ध होगी और उनका भी वैक्सीनेशन शुरू हो जाएगा।
सूत्रों के हवाले से बताया है कि सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया जुलाई में कोरोना की वैक्सीन नोवावैक्स का बच्चों पर क्लिनिकल ट्रायल शुरू करेगी। अमेरिकी बायोटेक्नॉलजी कंपनी नोवावैक्स ने पिछले साल सितंबर में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया से कोरोना वैक्सीन बनवाने का समझौता किया था। नोवावैक्स की कोरोना वैक्सीन भारत में कोवोवैक्स के नाम से बनेगी। सितंबर तक सीरम इस वैक्सीन को भारत में लॉन्च करने की योजना बना रही है। भारत में उसका ब्रीजिंग ट्रायल अंतिम दौर में है। हालांकि, बच्चों पर इसका अलग से क्लीनिकल ट्रायल होगा और उसमें सबकुछ ठीक होने के बाद ही यह बच्चों के लिए उपलब्ध होगी।
वयस्कों पर 90 प्रतिशत से ज्यादा असरदार
क्लीनिकल ट्रायल में नोवावैक्स के नतीजे काफी अच्छे आए हैं। कंपनी का दावा है कि ट्रायल्स के दौरान यह वैक्सीन 90.4 प्रतिशत असरदार मिली है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल भी नोवावैक्स के ट्रायल्स के नतीजों से उत्साहित हैं। उन्होंने कहा कि भारत में इसका क्लिनिकल ट्रायल आखिरी दौर में है। इसके नतीजे उम्मीद और उत्साह बढ़ाने वाले हैं। पॉल ने कहा कि सार्वजनिक तौर पर नोवावैक्स से जुड़े जो आकंड़े मौजूद हैं वह बताते हैं कि यह वैक्सीन सुरक्षित और बहुत ही ज्यादा असरदार है। पुणे स्थित सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया पहले से ही एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से विकसित कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड का निर्माण कर रही है। भारत में चल रहे कोरोना वैक्सीनेशन अभियान में ज्यादातर कोविशील्ड का ही इस्तेमाल हो रहा है। उसके अलावा भारत बायोटेक की बनाई देसी कोरोना वैक्सीन कोवैक्सीन और रूसी वैक्सीन स्पूतनिक ङ्क का भी देश में इस्तेमाल हो रहा है।