जौनसार क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली का उल्लास, बिरूड़ी के रूप में मनाया दूसरा दिन

विकासनगर। जौनसार क्षेत्र में बूढ़ी दिवाली का उल्लास छाया हुआ है। पांच दिवसीय पर्व का दूसरा दिन क्षेत्र में बिरूड़ी के रूप में मनाया गया। प्रात:काल होलड़े जलाने के बाद गांव-गांव में लोक संस्कृति की अनूठी छटाएं देखने को मिली। पौराणिक परंपरा के तहत पंचायती आंगनों में अखरोट बिखेरे गये। जिन्हें ग्रामीणों ने प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया। जौनसार के ठाणा, टुंगरा, रिखाड़, बिरमऊ, नगऊ, माक्टी, नागथा, बिसोई, मंगरौली, क्वारना, डकियारना, लोरली, कोरूवा, सैंज, उद्पाल्टा, क्यावा, निथला, बिसोई, हयोटगरी, अस्टाड, सरा, देऊ, अतलेऊ, डिमऊ, कोटा, सुपऊ, दातनू, साहिया, कालसी आदि गांवों में बूढ़ी दिवाली का दूसरा दिन होलियात और बिरूड़ी के रूप में मनाया गया। ग्रामीणों ने पंचायती आंगन में हारुल, तांदी, झेंता आदि लोक गीतों और वाद्ययंत्रों पर थिरकते हुए जमकर पर्व का लुत्फ उठाया। प्रात:काल ग्रामीणों ने गांव के समीप एकत्र होकर लकड़ी से बनाये होलड़े जलाये। इस दौरान ग्रामीण महिला पुरुषों ने लोक गीतों पर जमकर नृत्य करते हुए एक दूसरे को पर्व की बधाई दी। इसके बाद हर गांव में देवता मंदिर या पंचायती आंगनों में ग्रामीण एकत्र हुए। जहां गांवों के स्याणाओं ने छत पर खड़े होकर अखरोट बिखेरे। जिन्हें ग्रामीणों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। उधर पर्व पर विशेष रूप से तैयार किए जाने वाले व्यंजन के साथ घर-घर में दावतों का दौर भी जारी है। सभी परिवार और नाते रिश्तेदार एक दूसरे के घर पहुंचकर दावतों का लुत्फ उठाते रहे।

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