जमरानी बांध परियोजना को केंद्र की मंजूरी, गौला नदी पर बनेगा 150 मीटर ऊंचाई का बांध

सीएम धामी ने जताया प्रधानमंत्री मोदी का आभार

देहरादून(आरएनएस)। केंद्रीय कैबिनेट ने बहुप्रतीक्षित जमरानी बांध परियोजना को मंजूरी दे दी है। केंद्र के इस फैसले के बाद 150.60 मीटर ऊंचा बांध बनने का रास्ता साफ हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार जताया। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (वृहद एवं मध्यम ) के अंतर्गत जमरानी बांध परियोजना के वित्त पोषण के लिए निवेश स्वीकृति एवं जल शक्ति मंत्रालय की स्क्रीनिंग कमेटी ने पूर्व में स्वीकृति दी थी। वित्त मंत्रालय ने इसी वर्ष मार्च माह में आयोजित पीआईबी की बैठक में सहमति जताई थी। 1730.20 करोड़ की स्वीकृति परियोजना पर अब 90 फीसदी केंद्र जबकि शेष राशि राज्य सरकार की तरफ से खर्च किया जाना है।

351 हेक्टयर भूमि सिंचाई को हस्तांतरित
परियोजना के दायरे में लगभग 351.55 हेक्टेयर वन भूमि भी आई है। यह भूमि पूर्व में ही वन एवं पर्यावरण मंत्रालय सिंचाई विभाग को हस्तांतरित कर चुका है। इससे प्रस्तावित बांध निर्माण की राह और आसान हुई है। बांध के बनने से काफी परिवार विस्थापित भी हो रहे हैं, जिनके विस्थापन के लिए प्राग फार्म की 300.5 एकड भूमि मई माह में राज्य सरकार मंजूरी दे चुकी है। इस समय इस भूमि को सिंचाई विभाग को हस्तांतरित करने की प्रक्रिया चल रही है।

पेयजल की समस्या होगी दूर
जमरानी बांध परियोजना बनने से हल्द्वानी और आसपास के इलाके की पेयजल और सिंचाई की समस्या भी दूर होगी। काठगोदाम से 10 किमी के ऊपरी क्षेत्र में गौला नदी पर यह बांध बनना है, जिसके ऊंचाई लगभग 150.60 मीटर होगी। परियोजना से लगभग 1,50,000 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र की सिंचाई भी होनी है। इसके साथ ही हल्द्वानी शहर को पेजल उपलब्ध होगा। इस परियोजना से 63 मिलियन यूनिट विद्युत उत्पादन का प्रावधान भी किया है।

धामी का प्रयास लाया रंग
मुख्यमंत्री धामी इस परियोजना को लेकर लगातार प्रयासरत थे। प्रधानमंत्री मोदी के साथ पिछले दिनों हुई बैठक में वे जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय कैबिनेट से जल्द मंजूरी देने का आग्रह कर चुके थे। इसके साथ ही जल शक्ति और वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से लगातार संपर्क बनाकर रखा था।

चार दशक से ज्यादा समय से थी परियोजना प्रस्तावित
नैनीताल जनपद के अंतर्गत आने वाली जमरानी बांध परियोजना 1975 से प्रस्तावित थी। वित्तीय मंजूरी न मिलने से परियोजना का निर्माण अटका हुआ था। मुख्यमंत्री धामी की लगातार पहल के चलते अब जाकर परियोजना को स्वीकृति मिल पाई है।


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