जड़ी बूटियों के कृषिकरण पर दिया जोर

श्रीनगर गढ़वाल। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विवि के उच्च शिखरीय पादप कार्यिकी शोध संस्थान (हैप्रक), फॉरेस्ट्री एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग के माध्यम से संचालित भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की हिमालयन बायो रिसोर्स मिशन परियोजना के कार्यों की जमीनी हकीकत का निरीक्षण एवं कार्यों की प्रगति की समीक्षा मिशन के वरिष्ठ सलाहकार डा. मोहम्मद असलम द्वारा किया गया। इस दौरान उन्होंने जड़ी बूटियों के कृषिकरण को बढ़ावा दिए जा रहे कार्यों की जानकारी प्राप्त करने हेतु रामणी, खुनाना, पडेरगांव के साथ ही बनियाकुंड का भ्रमण किया। कार्यों की प्रगति पर संतोष जताते हुए डॉ. असलम ने कहा कि अगले वर्ष का टारगेट अभी से निर्धारित कर लिया जाए। जिससे समय पर लोगों को अधिक से अधिक संख्या में जोड़ कर परियोजना के लक्ष्य को पूरा किया जा सके। डॉ. असलम ने हैप्रेक संस्थान के फील्ड स्टेशन बनियाकुंड में किए जा रहे कार्यों की जानकारी लेते हुए कहा कि हैप्रेक संस्थान के पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर ये कहने में प्रसन्नता हो रही है कि हैप्रेक संस्थान गढ़वाल विवि की ताकत है। कहा हिमालय के नजदीक होने के कारण हिमालयी राज्यों के अन्य विश्वविद्यालयों की तुलना में हिमालय की जैव सम्पदा को संरक्षित रखते हुए शोध के माध्यम से आम जनमानस हेतु और अधिक उपयोगी बना सकता है। जिससे हमारा बायो रिसोर्स स्थानीय लोगों की अतिरिक्त इनकम का जरिया बन सके। डॉ. मोहमद असलम को हर्बल रिसर्च एवं डेवलपमेंट संस्थान, मंडल, गोपेश्वर का भ्रमण भी करवाया गया। फील्ड कार्यों की समीक्षा के दौरान हैप्रेक के निदेशक, प्रो. एमसी नौटियाल, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. विजयकांत पुरोहित, पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. आरके मैखुरी, झंडू फाउंडेशन के डा. रमेश उनियाल, डा. बीके बिष्ट, डा. लक्ष्मण कंडारी आदि मौजूद रहे।

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