Skip to content

RNS INDIA NEWS

आपकी विश्वसनीय समाचार सेवा

Primary Menu
  • मुखपृष्ठ
  • अंतरराष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • राज्य
    • उत्तराखंड
      • अल्मोड़ा
      • उत्तरकाशी
      • ऊधम सिंह नगर
      • बागेश्वर
      • चम्पावत
      • नैनीताल
      • पिथौरागढ़
      • चमोली
      • देहरादून
      • पौड़ी
      • टिहरी
      • रुद्रप्रयाग
      • हरिद्वार
    • अरुणाचल
    • आंध्र प्रदेश
    • उत्तर प्रदेश
    • गुजरात
    • छत्तीसगढ़
    • हिमाचल प्रदेश
      • शिमला
      • सोलन
    • दिल्ली
    • बिहार
    • मध्य प्रदेश
    • मणिपुर
    • राजस्थान
    • त्रिपुरा
  • अर्थ जगत
    • बाजार
  • खेल
  • विविध
    • संस्कृति
    • न्यायालय
    • रहन-सहन
    • मनोरंजन
      • बॉलीवुड
  • Contact Us
  • About Us
  • PRIVACY POLICY
Watch
  • Home
  • अन्य
  • औषधीय पौधों के संरक्षण और खेती को बढ़ावा दे रही राज्य सरकार
  • अन्य
  • लेख
  • हिमाचल प्रदेश

औषधीय पौधों के संरक्षण और खेती को बढ़ावा दे रही राज्य सरकार

RNS INDIA NEWS 27/06/2021
default featured image
टीना ठाकुर
प्राकृतिक उत्पादों के प्रति लोगों की बढ़ती रूचि के परिणामस्वरूप औषधीय पौधों का अंतरराष्ट्रीय बाजार में महत्व बढ़ा है। औषधीय पौधे स्वदेशी चिकित्सा पद्धति के लिए प्रमुख संसाधन हैं। आयुष प्रणालियों की राष्ट्रीय और विश्व स्तर पर पहुंच और स्वीकार्यता, गुणवत्तापूर्ण औषधीय पौधों पर आधारित कच्चे माल की निर्बाध उपलब्धता पर निर्भर है, जिससे औषधीय पौधों का व्यापार निरन्तर बढ़ रहा है।
हिमाचल  समृद्ध जैविक विविधता से सम्पन्न प्रदेश है। औषधीय पौधों एवं सम्बन्धित गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए राज्य औषधीय पादप बोर्ड प्रदेश में आयुष विभाग के तत्वावधान में कार्य कर रहा है। इसके अन्तर्गत आयुर्वेदिक दवाओं के निर्माण के लिए आर्थिक आवश्यकताओं और औषधीय पौधों की सुगम उपलब्धता पर बल दिया जा रहा है।
राज्य सरकार द्वारा औषधीय पौधों के संरक्षण को बढ़ावा देने और किसानों को इन पौधों की खेती करने और उनकी आय में वृद्धि हेतु प्रोत्साहित करने के लिए अनेक नीतियां तैयार कर कार्यान्वित की जा रही हैं। हिमाचल प्रदेश को औषधीय पौधों के केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए, राज्य सरकार राष्ट्रीय आयुष मिशन के तहत औषधीय पौधों की खेती के लिए विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है। इसके लिए विभिन्न किसान समूह बनाए गए हैं। वित्तीय सहायता का लाभ प्राप्त करने के लिए एक किसान समूह के पास कम से कम दो हेक्टेयर भूमि होनी चाहिए। एक किसान समूह में 15 किलोमीटर के दायरे में आने वाले तीन गांव शामिल हो सकते हैं। इन औषधीय पौधों की खेती के लिए गिरवी रखी गई भूमि का भी उपयोग किया जा सकता है। योजना के अन्तर्गत जनवरी 2018 से अब तक औषधीय पौधों की खेती के लिए 318 किसानों को 99.68 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।
राष्ट्रीय आयुष मिशन ने राज्य में औषधीय पौधों की खेती के लिए वर्ष 2019-20 में लगभग 128.94 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की है। इसमें से 25 लाख रुपये एक आदर्श नर्सरी के लिए, 12.5 लाख रुपये दो छोटी नर्सरीज के लिए, 54.44 लाख रुपये अतीस, कुटकी, कुठ, शतावरी, स्टीविया और सर्पगंधा की खेती के लिए, 20 लाख रुपये ड्राईन्ग शेड एवं भण्डारण गोदाम के निर्माण हेतु और 17 लाख रुपये अन्य व्यय के लिए आवंटित किए गए हैं।
राज्य सरकार ने प्रदेश में औषधीय पौधों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए जिला मंडी के जोगिंदरनगर, जिला हमीरपुर के नेरी, जिला शिमला के रोहड़ू और जिला बिलासपुर के जंगल झलेड़ा में औषधीय उद्यान स्थापित किए हैं। विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों के अनुसार विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधे इन औषधीय उद्यानों में उगाए जा रहे हैं, जिनका उपयोग अनेक बीमारियों की विभिन्न दवाएं तैयार करने के लिए किया जा रहा है।
राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड, आयुष मंत्रालय, भारत सरकार ने जिला मण्डी स्थित भारतीय चिकित्सा प्रणाली अनुसंधान संस्थान जोगिंदरनगर में उत्तरी क्षेत्र क्षेत्रीय के सह-सुविधा केंद्र की स्थापना की है। यह केंद्र पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश सहित छः पड़ोसी उत्तर भारतीय राज्यों में औषधीय पौधों की खेती और संरक्षण को बढ़ावा दे रहा है और राष्ट्रीय औषधीय पादप बोर्ड के कार्यों का प्रचार-प्रसार कर रहा है।
प्रदेशवासियों में औषधीय पौधों के बारे में जागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रथम चरण में दो सप्ताह के लिए पौधरोपण अभियान ‘चरक वाटिका’ चलाया गया, जिसमें 1167 आयुर्वेदिक संस्थानों में चरक वाटिकाओं की स्थापना की गई और लगभग 11,526 पौधे लगाए गए। 7 जून, 2021 को चरक वाटिका अभियान के द्वितीय चरण का शुभारंभ किया गया है।
विविध जलवायु परिस्थितियों वाला राज्य होने के फलस्वरूप प्रदेश के चार कृषि-जलवायु क्षेत्रों में औषधीय पौधों की लगभग 640 प्रजातियां पाई जाती हैं। जनजातीय जिले-किन्नौर, लाहौल-स्पीति, कुल्लू तथा कांगड़ा व शिमला जिलों के 2,500 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक उपयोगी औषधीय पौधों का उत्पादन होता है। इनमें से कुछ में पतीस, बत्सनाभ, अतीस, ट्रेगन, किरमाला, रतनजोत, काला जीरा, केसर, सोमलता, जंगली हींग, चर्मा, खुरसानी अजवायन, पुष्कर मूल, हौवर, धोप, धामनी, नेचनी, नेरी, केजावो, धोप चरेलू, शार्गेर, गग्गर और बुरांश शामिल हैं।
प्रदेश सरकार औषधीय पौधों के संरक्षण के लिए पारिस्थितिक क्षेत्र की नियमित निगरानी के अतिरिक्त, विभिन्न प्रजातियों की मूल पारिस्थितिकियों में स्थापना और संरक्षण और भारतीय हिमालयी क्षेत्र के अन्य भागों में इस पद्धति को अपनाने पर बल दे रही है। लोगों में जैव विविधता मूल्यों के बारे में विभिन्न माध्यमों से जागरूकता उत्पन्न की जा रही है और जैविक संसाधनों के संरक्षण एवं प्रबंधन में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है।
शेयर करें..

Post navigation

Previous: कॉलोनी में पीने के पानी की समस्या पर मंथन
Next: कोविशील्ड, कोवैक्सीन अल्फा-बीटा-गामा-डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ कारगर : भार्गव

Related Post

default featured image
  • हिमाचल प्रदेश

दवा नियंत्रण टीम की बड़ी कार्रवाई, अचानक मारा छापा, नकली दवा रैकेट का किया भंडाफोड़

RNS INDIA NEWS 06/07/2025
default featured image
  • हिमाचल प्रदेश

13 वर्षीय भतीजी से दरिंदगी करने वाले चाचा को कोर्ट की कड़ी सजा

RNS INDIA NEWS 06/07/2025
default featured image
  • मण्‍डी
  • हिमाचल प्रदेश

मंडी में भारी तबाही से जानमाल का नुकसान, अब तक 13 की मौत

RNS INDIA NEWS 03/07/2025

यहाँ खोजें

Quick Links

  • About Us
  • Contact Us
  • PRIVACY POLICY

ताजा खबर

  • राशिफल 14 अक्टूबर
  • पैठाणी के गांवों में फिर सक्रिय हुआ भालू
  • चलते वाहन पर गिरा पत्थर, चालक घायल
  • संदिग्ध परिस्थितियों में फंदे से लटका श्रमिक
  • सैन्य धाम के अंतिम चरण के कार्य शीघ्र पूर्ण किए जाएं :  गणेश जोशी
  • ट्रस्ट की संपत्ति हड़पने के आरोप में दंपति और बेटे पर केस दर्ज

Copyright © rnsindianews.com | MoreNews by AF themes.