हड़ताल के चलते केमू को एक पखवाड़े में 75 लाख रुपये का घाटा
अल्मोड़ा। एक सूत्रीय समस्या का समाधान नहीं होने से कुमाऊं मोटर्स ऑनर्स यूनियन (केमू) की हड़ताल 15वें दिन भी जारी रही। इससे जिले में 40 बसों के पहिये थमे रहे। हड़ताल के चलते केमू को एक पखवाड़े में 75 लाख रुपये का घाटा हो गया है। इससे इस परिवहन संस्था से जुड़े चालकों व परिचालकों के समक्ष कठिन दौर में रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। केमू में सवारियों की पचास प्रतिशत यात्री क्षमता पर भी पुराना किराया लिए जाने की व्यवस्था से बस संचालकों में नाराजगी है। इस व्यवस्था के विरोध में केमू की हड़ताल रविवार को 15वें दिन भी जारी रही। इससे यात्रियों को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा। उन्हें महंगा किराया देकर निजी टैक्सियों से अपने गंतव्य को रवाना होना पड़ा। कोरोना संक्रमण के मामले बढऩे की वजह से शासन ने सार्वजनिक परिवहन को लेकर आदेश जारी किया था कि इन बसों में आवागमन के लिए पचास प्रतिशत यात्री क्षमता से ही सवारियां ले जानी होंगी। साथ ही निर्धारित मार्गो का किराया वही लिया जाएगा, जो पूर्व में लिया जा रहा था। इस व्यवस्था के विरोध में बस संचालकों ने ठीक पखवाड़ा पूर्व दो मई से बसों का संचालन ठप कर दिया था। बस संचालकों की एक सूत्रीय मांग पर कोई कार्रवाई नहीं होने से इसका असर जहां केमू के बस मालिकों, चालकों व परिचालकों पर पड़ रहा है, वहीं यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसका कारण यह है कि पहाड़ के अधिकांश आंतरिक रूटों पर केमू की ही बसों का संचालन होता है। इधर, केमू के स्टेशन इंचार्ज बीसी चंदोला ने बताया कि अल्मोड़ा से प्रतिदिन हल्द्वानी समेत विभिन्न मार्गो को 40 बसों का संचालन किया जाता है, लेकिन शासन के 50 फीसद यात्री क्षमता के साथ पुराने किराये के आदेश के विरोध में केमू की हड़ताल रविवार को 15वें दिन भी जारी रही।