गोल्डन कार्ड की विसंगतियां दूर नहीं होने से शिक्षक-कर्मचारियों में रोष

देहरादून। गोल्डन कार्ड की विसंगतियां दूर नहीं होने से शिक्षक-कर्मचारियों में रोष है। उनका कहना है कि सरकार ने जिनके लिए योजना बनाई है, उनके सुझावों को इसमें शामिल करना चाहिए। इस बारे में राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने स्वास्थ्य प्राधिकरण को पत्र लिखकर प्रदेश के हर अस्पताल को योजना में शामिल करने की मांग की है।

संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान ने कहा कि हर कार्मिक को उसके नजदीकी अस्पताल में कम से कम प्राथमिक उपचार मिल जाए, इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश का हर अस्पताल योजना से जुड़ा हो। दूसरा यह कि किसी भी अस्पताल में होने वाला हर इलाज योजना में शामिल हो। वर्तमान में अस्पतालों में होने वाले किसी एक या दो बीमारियों को ही योजना में शामिल किया गया है, जिससे एक मरीज को दो अलग बीमारियों के इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। कई अस्पताल तो गोल्डन कार्ड की सूची में शामिल होने के बाद भी मरीजों को इलाज नहीं दे रहे। चौहान ने कहा कि योजना की विसंगतियों के चलते बीमार कर्मचारियों को तो परेशानी हो ही रही है। आर्थिक क्षति भी हो रही है।

ऊर्जा कर्मियों की तरह पेयजल कर्मी भी आवश्यक सेवा होने के कारण खुद को कोरोना वारियर का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं। साथ ही उन्होंने सरकार से कोरोना संक्रमण से मौत होने पर पेयजल कर्मी के परिवार को 10 लाख रुपये देने का आदेश जारी करने की मांग की है।
उत्तराखंड जल संस्थान कर्मचारी संघ गढ़वाल मंडल के पदाधिकारियों ने जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक को पत्र भेज ऊर्जा निगमों की तरह कोरोना से जान गंवाने वाले कर्मियों के परिवार को 10 लाख रुपये की सम्मान राशि देने की मांग की है। संघ के महामंत्री रमेश बिंजोला ने कहा कि कोरोना काल में पेयजल कर्मचारी व अधिकारी पूरी निष्ठा से ड्यूटी कर रहे हैं, ऐसे में कई कार्मिक कोरोना से अपनी जान गंवा चुके हैं। संघ कई बार सरकार व शासन को अवगत करा चुका है कि जल संस्थान को आवश्यक सेवा का विभाग मानते हुए उन्हें समस्त सुविधाएं दी जाएं। यदि सरकार पेयजल को आवश्यक सेवा मानती है तो सुविधाएं किस आधार पर नहीं दी जा रही हैं।


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