


पौड़ी(आरएनएस)। गोविंद बल्लभ पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान घुड़दौड़ी के जैव प्रौद्योगिकी विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. सुरेश चंद्र फुलारा को उत्तराखण्ड महापरिषद, लखनऊ द्वारा प्रतिष्ठित उत्तराखंड गौरव सम्मान प्रदान किया है। यह सम्मान उन्हें चीड़ की ज्वलनशील पत्तियों के पुन उपयोग से पर्यावरण-अनुकूल, ठंड-रोधी, किफ़ायती बायो-कम्पोज़िट निर्माण सामग्री विकसित करने से जुड़े उनके नवोन्मेषी, समाजोपयोगी और ग्रामीण आजीविका-उन्मुख शोध के आधार पर प्रदान किया गया। संस्थान के निदेशक प्रो. वीके बंगा ने उनके कार्य को शोध नवाचार का उत्कृष्ट उदाहरण बताते हुए कहा कि डॉ. फुलारा द्वारा विकसित बायो-कम्पोज़िट तकनीक वनाग्नि न्यूनीकरण, स्वदेशी उत्पाद विकास और ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। जैव प्रौद्योगिकी विभागाध्यक्ष डॉ. अरुण भट्ट ने इसे विभाग के लिए अत्यंत गौरव का क्षण बताते हुए कहा कि डॉ. फुलारा का शोध छात्रों व विभाग की शोध-संस्कृति को नई दिशा दे रहा है। डीन (अनुसंधान एवं विकास) डा. ममता बौण्ठियाल ने कहा कि वनाग्नि, आजीविका और पलायन जैसे वास्तविक समस्याओं पर आधारित यह शोध भविष्य में एमएसएमईएस, स्टार्टअप्स और ग्रामीण उद्योगों के विकास में निर्णायक भूमिका निभा सकता है और संस्थान की शोध उत्कृष्टता को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा। डा. फुलारा द्वारा विकसित यह तकनीक जंगलों में ईंधन भार कम कर वनाग्नि जोखिम घटाने, ग्रामीणों के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने, स्वदेशी निर्माण सामग्री का विकल्प प्रदान करने, कम लागत वाली इन्सुलेशन सामग्री के माध्यम से पशुपालन और पोल्ट्री को समर्थन देने जैसी कई महत्वपूर्ण संभावनाएं प्रस्तुत करती है। यह नवाचार पहाड़ी क्षेत्रों में पलायन रोकथाम और सतत ग्रामीण विकास की दिशा में एक सशक्त कदम साबित हो सकता है।

