गरीब आवास योजना के आवंटन को लेकर उच्च न्यायालय ने नगर परिषद परवाणू व हिमुडा को दिया नोटिस

आरएनएस सोलन(परवाणू):
गरीब आवास योजना के तहत मकानों के आबंटन को लेकर प्रमुख सचिव (शहरी विकास), सचिव (हिमुडा) और नगर परिषद, परवाणू, जिला सोलन के कार्यकारी अधिकारी को नोटिस जारी किया। जिसमें कोर्ट ने इस योजना के तहत नियमों के उल्लंघन पर प्रतिवादियों को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति सबीना की एक खंडपीठ ने परवाणू के समाज सेवक सतीश बेरी द्वारा दायर एक रिट याचिका पर यह आदेश जारी किए। जिन्होंने आरोप लगाया है कि आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय ने वर्ष 2008 में एकीकृत आवास और झुग्गी विकास कार्यक्रम के लिए दिशानिर्देश तैयार किए थे। जिनके आधार पर 2009 में सर्वे कर लगभग 200 झुग्गी झोपडी वाले गरीबों की पहचान कर उनके लिए मकानों की सरकार से मांग की। मकान तैयार होने के बाद वर्ष 2013 में पहले चरण में 36 परिवारों को फ्लैट आवंटित किए गए तथा वर्ष 2017 में दूसरे चरण में 23 परिवारों को फ्लैट आवंटित किए गए थे। वर्ष 2017 से, 133 फ्लैट पड़े हैं जबकि लगभग 192 परिवारों की प्रारंभिक चरण में पहचान की गई थी तथा लगभग 88-98 आवेदन नगर परिषद, परवाणू के पास विचाराधीन थे जो की वर्ष 2014 और 2015 में प्राप्त हुए थे। उन्होंने आरोप लगाया है कि आबंटन के नियमानुसार मकान आबंटित न कर पिक एंड चॉइस नीति अपनाई गई है । उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बचे हुए मकानों को आमदनी के लिए किराए पर भी दिया जा सकता था, परन्तु नगर परिषद परवाणू ने आवासों के आवंटन या किराए के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया व उन घरों व जनता के पैसे को बर्बाद किया है। बेरी ने अपनी याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया कि प्रतिवादियों को निर्देश दिया जाए कि वे स्वतंत्र एजेंसी द्वारा समयबद्ध तरीके से नियमों के अनुसार आवेदकों को आवास आवंटित करें न कि एम.सी. परवाणू द्वारा। उन्होंने उन दोषी पार्षदों, नगर परिषद के अधिकारियों को दंडित करने की भी प्रार्थना की है, जिन्होंने स्पष्ट रूप से आवासों के आवंटन में देरी की है और आवंटन को नियमों का उल्लंघन किया है।

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