गढ़वाली और कुमाऊंनी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग
देहरादून(आरएनएस)। राष्ट्रवादी रीजनल पार्टी ने गढ़वाली और कुमाऊंनी समुदाय को जनजाति का दर्जा दिलाने की मांग उठाई है। शुक्रवार को जनजाति दिवस के मौके पर प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने गढ़वाली और कुमाऊंनी समुदाय की पहचान पर संकट को लेकर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि 1974 तक उत्तराखंड की जिस पर्वतीय समुदाय को जनजाति का दर्जा था, उसे बहाल किया जाना चाहिए। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिवप्रसाद सेमवाल का कहना है कि जिस तरह से मूल निवास और भू कानून खत्म किया जा रहा है, उसी तरह एक दिन गढ़वाली और कुमाऊनी समुदाय की पहचान को भी खत्म कर दिया जाएगा। यह पहचान की संकट का सवाल है। प्रदेश संगठन सचिव सुलोचना ईष्टवाल ने कहा कि उत्तराखंड पर आक्रमण करने वाली जातियों को जनजाति का दर्जा दिए जाने की तैयारी हो रही है। पश्चिम बंगाल से तराई में बसे लोगों को वोट बैंक के लिए आरक्षण दिए जाने की वकालत की जा रही है। महिला प्रकोष्ठ की महानगर अध्यक्ष शशि रावत ने सवाल किया कि यूसीसी कानून के मुताबिक एक वर्ष पहले भी उत्तराखंड आने वाला व्यक्ति यहां का स्थाई निवासी का दर्जा प्राप्त कर लेगा तो फिर उत्तराखंड के मूल निवासियों की पहचान खत्म ही हो जाएगी। जिलाध्यक्ष विशन कंडारी ने मांग की कि जिस तरह से जौनसार में मूल निवास 1950 लागू है और बाहरी व्यक्ति वहां की जमीन नहीं खरीद सकता, उसी तरह से गढवाली और कुमाऊनी समुदाय को जनजाति का दर्जा मिलने से मूल निवास और भू कानून का संरक्षण स्वतः ही प्राप्त हो जाएगा। पार्टी ने तहसीलदार विवेक राजौरी के माध्यम से ज्ञापन प्रधानमंत्री को भेजकर गढ़वाली और कुमाऊंनी समाज को जनजाति का दर्जा देने की मांग की गई। इस मौके पर जगदंबा बिष्ट, ओमप्रकाश खंडूड़ी, शांति चौहान, द्रौपदी रावत, उषा बिष्ट, मीना थपलियाल, रजनी कुकरेती, पौड़ी महिला प्रकोष्ठ की जिलाध्यक्ष राखी नौडियाल, कुसुमलता, रेनू नवानी, रंजना नेगी, सुनीता रावत, जिला सहकारी संघ के पूर्व अध्यक्ष मदन सिंह रावत, पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ के कलम सिंह रावत, प्रचार सचिव विनोद कोठियाल, सुरेंद्र चौहान, सुमित थपलियाल, संजय तितोरिया, पद्मा रौतेला, प्रवीण सिंह, मंजू रावत, राजेंद्र गुसाईं, सुरेंद्र सिंह चौहान, मदन सिंह रावत समेत अन्य मौजूद रहे।