
उत्तरकाशी। भैया दूज के पावन पर्व पर शनिवार को मां गंगा व मां यमुना दोनों के ही मायके में उत्सव का माहौल रहा। शुक्रवार को गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद मां गंगा की उत्सव डोली शनिवार को अपने मायके मुखबा पहुंची। जहां तीर्थ पुरोहितों तथा श्रद्धालुओं ने मां गंगा का भव्य स्वागत किया। स्वागत के इस दौरान पूरे मुखबा क्षेत्र में उत्सव का माहौल बना रहा। मां गंगा के स्वागत के लिए सभी लोग बड़े उत्साहित थे तथा सभी ने डोली यात्रा का परंपरानुसार पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ भव्य स्वागत किया।
अन्नकूट पर्व पर शुक्रवार को गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद दूसरे दिन मां गंगा अपने मायके मुखबा पहुंची। मुखबा में मां गंगा का मंदिर है जहां शीलकाल में गंगा प्रवास करती हैं और यहीं पर शीतकाल के दौरान 6 माह तक देश विदेश के श्रद्धालु मां गंगा के दर्शन करते हैं। मुखबा में मां गंगा का मायका होने पर गांव के लोग गंगा को अपनी बेटी मानते हैं। ग्रीष्म काल में 6 माह तक गंगोत्री धाम में प्रवास करने के बाद जब अन्नकूट के पर्व पर गंगोत्री धाम के कपाट बंद होते हैं तो गंगा अपने मायके शीतकालीन प्रवास मुखीमठ (मुखबा) प्रवास के लिए आती है। शनिवार को जब मां गंगा की डोली मुखबा गांव पहुंची, तो यहां तीर्थ पुरोहितों एवं श्रद्धालुओं ने डोली का ढोल नगाड़ों, फूल मालाओं सहित पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ भव्य स्वागत किया। इस दौरान नौवीं बिहार रेजिमेंट के जवानों की बैंड की धुन और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप से पूरा मुखबा क्षेत्र गुंजायमान रहा। इस मौके पर मुखबा में महिलाओं ने रांसो-तांदी नृत्य की भी प्रस्तुत दी।
तीर्थ पुरोहित व मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल , राजेश सेमवाल का कहना है कि मुखवा गांव में ग्रामीण मां गंगा को अपनी बेटी की तरह मानते हैं। ग्रामीण गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने पर गंगा का स्वागत अपनी बेटी की तरह करते हैं तथा गंगोत्री धाम के कपाट खुलने पर बेटी की तरह ही गंगा को मुखबा से विदा करते हैं।