गंगा में सीवर छोड़ने के मामले में शपथपत्र दाखिल करने को कहा

नैनीताल। हाईकोर्ट ने हरिद्वार जिले के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट परियोजना में गड़बड़ी व सीवरेज को गंगा नदी में छोड़ने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता को शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। रतनमणि डोबाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि हरिद्वार जिले में सिंचाई विभाग के अधीन सीवरेज की तीन परियोजनाओं के लिए बजट जारी किया गया। इसके तहत नाबार्ड से स्वीकृत परियोजना की लागत 2365.39 लाख व केंद्र सरकार प्रायोजित गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग (जीएफसीसी) की योजना 2260.57 लाख की है। याचिका में कहा कि हरिद्वार जिले में त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआइबीपी) के तहत 695.98 लाख रुपये की लागत से सुभाष गढ़ सिंचाई नहर का निर्माण होना है। याचिका में कहा कि इतनी धनराशि खर्च करने के बाद भी ये परियोजनाएं अधूरी हैं। सीवरेज गंगा में छोड़ा जा रहा है। याचिकाकर्ता ने दो परियोजनाओं के संबंध में जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश की। जिसमें स्पष्ट है कि तत्कालीन इंजीनियरों सहित अन्य की ओर से अनियमितता की गई है। याचिका में कहा कि मुख्य अभियंता की जांच में भी इसकी पुष्टि हुई है। पहली परियोजना जगजीतपुर सीवरेज ट्रीटमेंट के साफ किए गए पानी को डायवर्ट करना था।


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