गैरसैंण विस गेट पर रोके जाने पर हरीश रावत समर्थकों संग गेट पर एक घंटे मौन व्रत पर बैठे

चमोली। शनिवार को तय कार्यक्रम के अनुसार विधान सभा परिसर के बाहर अपने समर्थकों के साथ एक घंटे तक मौन व्रत करने जा रहे पूर्व सीएम हरीश रावत को विधान सभा के मुख्य गेट पर सुरक्षा कर्मियों ने रोक लिया। इसके चलते रावत वहीं अपने समर्थकों के साथ एक घंटे मौन व्रत पर बैठे रहे। पूर्व सीएम रावत ने मुख्य विस परिसर में मौन व्रत के लिए प्रवेश न दिये जाने व सुरक्षा कर्मियों द्वारा गेट पर रोके जाने को अलोकतांत्रिक बताते हुये कहा कि वह दून में विधान सभा सत्र के दौरान इसके विरोध में विधान सभा गेट पर बैठकर विरोध करेंगे। वह जनता को इस संबंध में अवगत कराएंगे। उन्होंने कहा कि जब जनता ने उन्हें मौका दिया उनकी सरकार ने गैरसैंण में विधान सभा व अन्य जनउपयोगी कार्यों को अंजाम दिया। रावत ने पूर्व सीएम एवं पूर्व विस अध्यक्ष को विधान सभा के मुख्य परिसर में रोके जाने को दुभाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि देश एवं प्रदेश में संवैधानिक संस्थाओं को समाप्त करने की साजिश सरकार रच रही है, जिसका मुकाबला कांग्रेस देश में राहुल गांधी के नेतृत्व में कर रही है।
पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद कुंजवाल ने कहा कि वे ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने के बाद यहां क्या-क्या विकास कार्य हुए, उनको देखने के लिए पहुंचे थे। लेकिन सरकार ने उन्हें मुख्य परिसर में जाने से रोका गया। पूर्व राज्य सभा सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा कि गैरसैंण के प्रति भाजपा की नीयत में खोट है। इसीलिए ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित होने के बाद दो वर्ष से यहां विस का कोई भी सत्र आहूत नहीं किया गया है। कभी जाडे़ का बहाना तो कभी चारधाम यात्रा का बहाना किया गया। विस परिसर पहुंचने पर सुरक्षा कर्मियों ने पूर्व सीएम के काफिले को काफी देर तक दूसरे गेट पर भी रोके रखा। इस दौरान उनके साथ पूर्व एमएलसी पृथ्वी पाल चौहान, कांग्रेस जिअ मुकेश नेगी, हरिकृष्ण भट्, संदीप पटवाल, दान सिंह नेगी, मोहनलाल टम्टा, विरेन्द्र लाल, विरेन्द्र मिंगवाल, पूरन नेगी आदि कई कांग्रेसजन थे।