गडकरी ने किया वर्ष 2025 तक सडक़ दुर्घटनाओं की संख्या को घटाकर आधा करने का आह्वान

राष्ट्रीय सडक़ सुरक्षा परिषद की 19वीं बैठक आयोजित की गई

नई दिल्ली (आरएनएस)। केन्द्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वर्ष 2025 तक सडक़ दुर्घटनाओं की संख्या को घटाकर आधे पर लाने का आह्वान किया। उन्होंने सुझाया कि मंत्रालय, राष्ट्रीय राजमार्ग परिवहन प्राधिकरण (एनएचएआई), पीडब्ल्यूडी और सडक़ निर्माण के काम में लगी विभिन्न एजेंसियों के इंजीनियरों की सडक़ सुरक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए तीन दिन का एक अनिवार्य प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए। राष्ट्रीय सडक़ सुरक्षा परिषद (एनआरएससी) की 19वीं बैठक को संबोधित करते हुए कल यहां गडकरी ने कहा कि दुर्घटनाओं को कम करना क्रमिक प्रक्रिया नहीं है, हर हितधारक को इसे तत्काल प्रभाव से उच्च प्राथमिकता देनी चाहिए। उन्होंने स्वीडन का उदाहरण दिया जहां सडक़ दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए बिल्कुल बर्दाश्त न करने (जीरो टॉलरेंस) की नीति अपनाई गई। इस कार्यक्रम में आंध्र प्रदेश और बिहार के परिवहन मंत्री, राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के पुलिस महानिदेशक अथवा उनके प्रतिनिधि और एनआरएससी के विभिन्न अधिकारी और अन्य कर्मचारी उपस्थित थे।
गडकरी ने बताया कि भारत प्रतिदिन 30 किलोमीटर सडक़ का निर्माण कर रहा है जो कि महामारी के समय में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। उन्होंने राज्य सरकारों से कहा कि वे लोगों को सडक़ पर सुरक्षित तौर पर चलने के लिए प्रोत्साहित करें और इस काम में स्वयंसेवी संगठनों को शामिल करे। उन्होंने सुझाव दिया कि सडक़ सुरक्षा उपायों के संबंध में जागरूकता बढ़ाने और लोगों को शिक्षित करने के लिए बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि सडक़ सुरक्षा के संबंध में सांसदों की एक समिति गठित की गई है और उन्होंने सभी विधायकों से आग्रह किया कि वे अपने चुनाव क्षेत्रों में सडक़ दुर्घटनाओं को कम करने के उपायो पर ध्यान दें।
सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय सडक़ सुरक्षा परिषद का गठन किया है जिसका काम सडक़ परिवहन क्षेत्र में सुरक्षा के मानकों, नीतियों के संबंध में योजना बनाना और समन्वय करना, राज्य सडक़ सुरक्षा संगठनों द्वारा लागू किए जाने वाले सडक़ सुरक्षा कार्यक्रमों को तैयार करना और उनकी सिफारिश करना, सडक़ परिवहन क्षेत्र में सुरक्षा के पहलू में सुधार के लिए अनुसंधान और विकास के बारे में सुझाव देना, सडक़ दुर्घटनाओं के आंकड़ों की हिफाजत और उनका विश्लेषण करना और राज्यों तथा केन्द्र शासित एजेंसियों द्वारा अपनाए जाने वाले सडक़ सुरक्षा उपायों पर नजर रखना और उनकी निगरानी करना है।
सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में निदेशक (सडक़ सुरक्षा) विवेक किशोर ने अपनी प्रस्तुति में ब्लैक स्पॉट सुधार प्रक्रिया और राष्ट्रीय राजमार्गों पर सुधार की स्थिति के बारे में जानकारी दी। किशोर ने मंत्रालय द्वारा दुर्घटनाओं और उसमें होने वाली मौतों को कम करने के बारे में अपनाए गए विभिन्न उपायों, मंत्रालय की योजनाओं और मोटर वाहन (संशोधन) कानून, 2019 में सडक़ सुरक्षा को सुदृढ़ बनाने के लिए जोड़ी गई विशेषताओं के बारे में विस्तार से बताया। इसके अलावा, सडक़ दुर्घटना के आंकड़ों की रिपोर्टिंग, प्रबंधन और विश्लेषण के लिए एक केन्द्रीय संग्रह बनाने के लिए आईआईटी, मद्रास और एनआईसीएसआई द्वारा एकीकृत सडक़ दुर्घटना डेटा बेस (आईआरएडी) के विकास और उसे लागू करने के बारे में भी एक प्रस्तुति दी गई।
बिहार के परिवहन मंत्री ने उनकी राज्य सरकार की सडक़ सुरक्षा ऑडिट के लिए ‘संयुक्त जांच दल’ गठित करने, स्वचालित ड्राइविंग प्रशिक्षण केन्द्र बनाने, 40 अस्पतालों को अपग्रेड कर उन्हें ट्रॉमा सेंटर बनाने और 434 लोगों को सडक़ दुर्घटना के समय सहायता करने के लिए ‘गुड समेरिटन्स’ पुरस्कार देने जैसी विभिन्न पहलों के बारे में जानकारी दी। एनआरएससी के अन्य सदस्यों ने कानून में बदलाव जैसे विभिन्न उपायों के जरिए सडक़ सुरक्षा हालत में सुधार के सुझाव दिए।
सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल (सेवानिवृत्त) डॉ. वी. के. सिंह ने राज्यों से कहा कि वे अपने राज्यों में, अपने स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न उपाय लागू करें। उन्होंने एनआरएससी के सभी सदस्यों को भरोसा दिलाया कि उनके द्वारा दिए गए सुझावों पर विचार किया जाएगा और जरूरत के अनुरूप उन्हें लागू किया जाएगा।


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