फास्टैग के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार

नई दिल्ली, 26 फरवरी (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने फास्टैग की अनिवार्यता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता एक सेवानिवृत्त सरकारी कर्मी थी, जिन्हें कोर्ट ने उनकी याचिका के संबंध में दिल्ली हाईकोर्ट जाने के लिए कहा। उन्होंने थर्ड पार्टी बीमा और फिटनेस सर्टिफिकेट के लिए जरूरी फास्टैग के खिलाफ चुनौती दी थी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने एक रिटायर्ड कर्मचारी राजेश कुमार द्वारा दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने उनसे कह कि आप पहले दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएं। सीजेआई बोबडे ने कहा कि हम पहले इस मामले पर उच्च न्यायालय की राय जानना चाहते हैं। और राजेश कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुवाई करने से इनकार कर दिया। राजेश कुमार ने अपने वकील ध्रुव टम्टा के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जनहित याचिका दायर की थी और सभी मोटर वाहनों के लिए फास्टैग को अनिवार्य करने के मुद्दे में राहत और उचित निर्देश और आदेश देने की मांग की थी। कुमार ने कहा कि बहुत से लोग सेवानिवृत्त जीवन जी रहे हैं, लेकिन सीमित उद्देश्य के लिए अपने घर में वाहनों को रखना पड़ता है। उन्होंने कहा कि कुछ को शहर में ही अस्पताल जाने के लिए या आपात स्थिति में कारों की आवश्यकता होती है। राजेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी और सभी मोटर वाहनों के लिए फास्टैग की अनिवार्यता को खत्म कर दिया जाए। सीजेआई बोबडे ने सुनवाई के दौरान कह कि अनुच्छेद 32 क्यों?। इस पर वकील टम्टा ने जवाब दिया, कि यह (फास्टैग) देशव्यापी मामला है, कृपया इसे देखें। सीजेआई ने कहा कि यह ठीक है। लेकिन आप पहले दिल्ली उच्च न्यायालय में जाएं। सीजेआई बोबड़े ने कहा, हमारे पास हाईकोर्ट की भी राय होगी।


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