
देहरादून(आरएनएस)। राजधानी देहरादून स्थित उत्तराखंड का सबसे बड़ा राजकीय दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल एक बार फिर चर्चा में है। यह अस्पताल अक्सर मरीजों और तीमारदारों के साथ डॉक्टरों व जूनियर डॉक्टरों के बीच होने वाली गर्मा-गर्मी को लेकर सुर्खियों में रहता है। हाल ही में अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति और देरी से ड्यूटी पर आने को लेकर उठे सवालों पर दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल की प्राचार्य प्रो. (डॉ.) गीता जैन ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि— “अधिकांश डॉक्टर समय पर ड्यूटी पर पहुंचते हैं और अस्पताल में मरीजों के उपचार का कार्य पूरी व्यवस्था के साथ चल रहा है।”
हालांकि, दूसरी ओर मरीजों और उनके तीमारदारों का कहना है कि अस्पताल की ओपीडी हो या ओटी इमरजेंसी, जूनियर डॉक्टरों का रवैया अक्सर उदासीन रहता है। कई मरीजों ने शिकायत की कि डॉक्टर उनकी बात ध्यान से नहीं सुनते और कभी-कभी फटकार कर भगा भी देते हैं। यही नहीं, स्टाफ नर्स और वार्ड ब्वॉय की उपस्थिति भी अक्सर समय पर नहीं होती।
एक तीमारदार ने कहा, “यहां मरीज इलाज के लिए आते हैं, लेकिन कई बार ऐसा लगता है कि हमें इलाज के लिए खुद डॉक्टरों के पीछे भागना पड़ता है।”
प्राचार्य डॉ. जैन ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में रोजाना औसतन दो से ढाई हजार मरीज इलाज के लिए आते हैं। उन्होंने कहा कि इतने अधिक मरीजों की संख्या के बावजूद डॉक्टर पूरी कोशिश करते हैं कि हर व्यक्ति को समय पर उचित उपचार मिले। उन्होंने स्वीकार किया कि कभी-कभी तकनीकी कारणों या विभागीय कार्यों के चलते कोई डॉक्टर ओपीडी से अनुपस्थित रह सकता है। “इसका यह अर्थ नहीं है कि डॉक्टर ड्यूटी नहीं निभा रहे। कई बार डॉक्टर जांच, ऑपरेशन या किसी विशेष केस में व्यस्त रहते हैं।,”
प्राचार्य के अनुसार, “कुछ घटनाओं को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जा रहा है, जबकि सच्चाई यह है कि अस्पताल में सेवाएं लगातार बेहतर हो रही हैं। हमारा उद्देश्य केवल मरीजों की सेवा करना है और इसमें कोई ढिलाई नहीं बरती जा रही।”
डॉ. जैन ने यह भी जानकारी दी कि अस्पताल प्रशासन ने हाल ही में कई नए इंटरव्यू संपन्न किए हैं और जल्द ही नए डॉक्टर अस्पताल से जुड़ेंगे। इससे विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी भी काफी हद तक पूरी हो जाएगी। “हमारी कोशिश यही रहती है कि मरीज की ओपीडी उसी डॉक्टर से कराई जाए, जिससे वह पहले से इलाज करा रहा हो, ताकि उपचार की निरंतरता बनी रहे।,”





