दिवाली पर जमकर चले पटाखे…वायु गुणवत्ता बेहद खराब, पर्यावरणविदों ने लोगों और दिल्ली सरकार को ठहराया दोषी

नई दिल्‍ली। पर्यावरणविदों का कहना है कि दिल्ली में दिवाली पर पटाखा चलाने पर लगी रोक का उल्लघंन करने से वायु गुणवत्ता में आई गिरावट के लिए नागरिक और दिल्ली सरकार, दोनों जिम्मेदार हैं। दिल्ली में दिवाली की सुबह वायु गुणवत्ता में और गिरावट आई और वायु् गुणवत्ता सूचकांक ‘बहुत खराब’ की श्रेणी में पहुंच गया। चिंतन एनवायरमेंटल रिसर्च ऐंड एक्शन ग्रुप की संस्थापक और निदेशक भारती चतुर्वेदी ने कहा कि वायु गुणवत्ता खराब होने के लिए नागरिक और दिल्ली सरकार ‘बराबर जिम्मेदार’ हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण पर रोक के लिए लागू नियमों को दिल्ली के अधिकतर हिस्सों में ‘नागरिकों द्वारा उल्लंघन’ किया गया।
चतुर्वेदी ने कहा,‘‘ जब जिम्मेदार नागरिक बनने और समाधान का हिस्सा बनने की बात आती है तो वे ऐसा नहीं करते हैं। स्पष्ट है कि नियम तोड़कर पटाखा चलाने वाले अधिकतर लोग अपने बच्चों या बुजुर्गों की या यहां तक अपनी जीवन की गुणवत्ता की परवाह नहीं करते हैं।” उन्होंने कहा कि नागरिक अपने ‘संवैधानिक कर्तव्य’ का निर्वहन करने में असफल रहे और राज्य सरकार भी ‘बराबर जिम्मेदार’ है क्योंकि उसने ‘‘अपर्याप्त और कमजोर” फैसला लिया। एजेंसियों के मुताबिक राष्ट्रीय राजधानी का सोमवार रात 11 बजे एक्यूआई 310 दर्ज किया और मंगलवार सुबह छह बजे यह बढ़कर 326 हो गया और नौ बजे तक यह स्थिर रहा एवं उसके बाद इसमें कमी आने लगी।
पडोसी शहरों गाजियाबाद में सुबह नौ बजे एक्यूआई 272 दर्ज किया गया जबकि नोएडा में 312,ग्रेटर नोएडा में 311, गुरुग्राम में 313 और फरीदाबाद में एक्यूआई 311 दर्ज किया गया जो ‘‘खराब” से ‘‘बहुत खराब” की श्रेणी में आता है। शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 से 100 को ‘संतोषजनक’, 101 से 200 को ‘मध्यम’, 200 से 300 को ‘खराब’, 301 से 400 को ‘बहुत खराब’ और 401 से 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है। पर्यावरणविद भावरीन कंधारी ने कहा कि पुलिस और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को ‘‘ कार्रवाई” करने और भविष्य के लिए ‘मिसाल” पेश करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘पटाखों पर प्रतिबंध लगा था और कई ने इसका उल्लंघन किया और यहां तक प्रर्वतन एजेंसियों को कार्रवाई की चुनौती दी।”
कंधारी ने कहा कि स्थिति बेहतर करने के लिए अगले साल तक पटाखों पर प्रतिबंध जारी रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को केवल सुर्खियां बटोरने के लिए घोषणा नहीं करनी चाहिए बल्कि नियमों को लागू कराने के लिए कदम उठाने चाहिए। पटाखों पर प्रतिबंध अगले साल तक जारी रहना चाहिए ताकि शहर में इनकी उपलब्धता का सवाल ही न हो।” सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी ऐंड क्लीन एयर (सेरा) के विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा, ‘‘वायु गुणवत्ता दिखाती है कि दिल्ली में पटाखों पर लगी रोक को लागू नहीं किया गया क्योंकि बेहतर मौसमी परिस्थितियां और पिछले साल के मुकाबले पराली जलाने का असर कम होने के बावजूद सोमवार मध्य रात्रि प्रदूषण का औसत स्तर 500 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया।”


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