धोखाधड़ी के मामले में जनहित निधि लिमिटेड की निदेशक की जमानत याचिका खारिज

अल्मोड़ा। धोखाधड़ी/गबन के एक मामले में सत्र न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान के न्यायालय में अभियुक्ता सरिता केसरवानी पुत्री कन्हैया केसरवानी निवासी 166-14 पाहपुर तिगरी मुरादाबाद द्वारा धारा-420 एवं 400 ताहि के तहत अपने अधिवक्ता के माध्यम से अपनी जमानत हेतु जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत की गयी। जिस पर जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा द्वारा अभियुक्ता की जमानत का घोर विरोध करते हुए न्यायालय को यह बताया कि ब्रांच मैनेजर वादी मुकदमा भरत सतवाल पुत्र प्रेम सिंह सतपाल निवासी ग्राम व पो० सत्यो थाना लमगड़ा जिला अल्मोड़ा द्वारा 06 जुलाई 2021 को थाना लमगड़ा जिला अल्मोड़ा में एक तहरीर इस आशय से दी कि माह दिसम्बर 2016 में मल्टी सर्विसेज नामक कम्पनी के पदाधिकारी अजय यादव, अभियुक्ता सरिता केसरवानी व अभिषेक यादव द्वारा कस्बा लमगड़ा में शाखा संचालित की गयी। जिसमें आम जन मानस से आर०डी०, एफ०डी० व अन्य स्कीम में निवेश करने का लालच देकर धोखाधड़ी से लोगों से धनराशि जमा करवाई गयी। शाखा से माह अप्रैल 2021 के बाद से निवेशकों की धनराशि वापस देना बंद कर दिया गया तथा निवेशकों के लगभग 40,00000 / (चालीस लाख रू०) की धनराशि धोखाधड़ी से हड़प ली गयी है। अभियुक्ता जनहित निधि लिमिटेड की सक्रिय निदेशकों में से एक थी तथा जनहित निधि लिमिटेड के बैंक खाते जिसमें शाखा लमगड़ा में निदेशकों द्वारा जमा की जाने वाली धनराशि में ऑथोराइज़्ड सिगनेचरी भी है जिसके साक्ष्य सम्बन्धित बैंक द्वारा उपलब्ध कराये गये हैं और अभियुक्ता जनहित निधि लिमिटेड में अल्पकाल के लिए डायरेक्टर के पद पर थी। वादी मुकदमा द्वारा बताया गया है कि शाखा संचालन व पैसों के लेन देन के संबंध में अभियुक्ता के द्वारा भी वादी मुकदमा जो शाखा लमगड़ा को शाखा प्रबन्धक भी को निर्देश दिया जाता था कि रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनी उत्तराखण्ड जिसमें जनहित निधि लिमिटेड रजिस्टर्ड है से प्राप्त दस्तावेजों के अनुसार अभियुक्ता सरिता केसरवानी उपरोक्त कम्पनी के शुरूआत से ही कम्पनी को डायरेक्टर है और शाखा लमगड़ा के फण्ड रजिस्टर में अभियुक्ता सरिता केसरवानी को शाखा लभगढ़ा में खाता धारकों के जमा पैसों में से कैश दिया जाना भी उल्लिखित है। अभियुक्ता द्वारा निवेशकों को अधिक ब्याज देने का लालच देकर अपने जाल में फंसाकर निवेशकों के लगभग 40,00000/ (चालीस लाख रू०) का गबन किया गया है। उक्त मामले में अभियोजन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी पूरन सिंह कैड़ा, सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी शेखर चन्द्र नैलवाल एवं विशेष लोक अभियोजक भूपेन्द्र कुमार जोशी ने मामले में सबल पैरवी कर न्यायालय को यह बताया कि अभियुक्ता को जमानत पर रिहा किया जाता है तो अभियुक्ता को न्यायालय में बुलाये जाने पर पेश न होने की व जमानत पर रिहा होने की दशा में साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करने व गवाहों को डरा धमकाकर दबाव बनाने की प्रबल सम्भावना है। जिस पर न्यायालय द्वारा पत्रावली का परिशीलन कर अभियुक्ता की जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए 12 अक्टूबर को खारिज की गई।


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