जेल का बदला चाहते थे केजरीवाल, फिर क्यों आप का ऐसा हाल

नई दिल्ली (आरएनएस)। दिल्ली की सत्ता पर एक दशक से काबिज आम आदमी पार्टी (आप) को एक बार फिर बड़ा झटका लगा है। कांग्रेस से गठबंधन के बावजूद आम आदमी पार्टी के हाथ निराशा ही रही। सहयोगी कांग्रेस भी शून्य पर ही सिमटी रही। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने लगातार तीसरी बार दिल्ली की सभी सात सीटों पर कमल खिला दिया है। दिल्ली के नतीजे सबसे अधिक आम आदमी पार्टी के लिए चौंकाने वाले हैं, क्योंकि पार्टी को पूरा भरोसा था कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी का जवाब देते हुए जनता उसके पक्ष में जनादेश देगी। आखिर आम आदमी पार्टी की हार की क्या वजहें और इसके क्या मायने निकाले जा रहे हैं। आइए नजर डालते हैं।

‘केजरीवाल और बड़े नेताओं के जेल जाने से नुकसान’
कथित शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी के कई बड़े नेता जेल में बंद हैं। चुनाव से पहले खुद पार्टी के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया गया। आप के दूसरे सबसे बड़े नेता मनीष सिसोदिया एक साल से अधिक समय से जेल में बंद हैं। एक अन्य प्रमुख नेता सत्येंद्र जैन भी लंबे समय से तिहाड़ में कैद हैं। माना जा रहा है कि इन नेताओं के जेल जाने से पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा।

‘केजरीवाल को अपेक्षित सहानुभूति नहीं’
अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद पार्टी ने ‘जेल का जवाब वोट से’ कैंपेन चलाया। सलाखों के पीछे केजरीवाल को दिखाकर पार्टी को भरोसा था कि उसके पक्ष में सहानुभूति की लहर चलेगी और इस बार पार्टी दिल्ली में कम से कम 2-3 सीटों पर कब्जा जमा सकती है। हालांकि, अब नतीजे अलग ही कहानी बयां कर रहे हैं

‘जनता ने स्वीकार नहीं किया आप-कांग्रेस का गठबंधन’
वोटों का बिखराव रोकने के लिए आम आदमी पार्टी ने पहले बार कांग्रेस से गठबंधन करके भाजपा का मुकाबला किया। पार्टी को उम्मीद थी कि वोटों का बंटवारा रोककर भाजपा को पटखनी दी जा सकती है। हालांकि, नतीजों को इस रूप में भी देखा जा रहा है कि जनता ने आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के गठबंधन को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया। ध्यान देने वाली बात यह भी है कि दोनों ही दलों के जमीनी कार्यकर्ता और कई बड़े नेता भी इस गठबंधन को लेकर सहज नहीं थे।

‘केंद्र में तो मोदी ही’ फैक्टर
इससे पहले 2014 और 2019 में भी दिल्ली की जनता ने इसी तरह का फैसला सुनाया था। दोनों चुनावों में भाजपा ने सभी सातों सीटों पर कब्जा जमाया था। लेकिन इस दौरान विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को दो बार प्रचंड बहुमत मिल चुका है। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि दिल्ली में केजरीवाल और केंद्र में मोदी का फार्मूला अपनाया है, राजधानी ने अपनाया है।


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