दमयंती रावत को लेकर हरक सिंह ने दी मुख्यमंत्री को चुनौती

मुख्यमंत्री स्वयं भी चाहें तो किसी सचिव को नहीं हटा सकते: हरक

देहरादून। उत्तराखंड में कर्मकार कल्याण बोर्ड को लेकर शुरू हुआ सियासी संग्राम थमने का नाम नहीं ले रहा है। 20 अक्टूबर को पहले बोर्ड के अध्यक्ष पद से श्रम मंत्री हरक सिंह रावत को हटाया गया और फिर 28 अक्टूबर को सचिव और मंत्री हरक सिंह रावत की करीबी दमयंती रावत को भी हटा दिया गया। इससे माहौल और गरमा गया है। हरक सिंह रावत इस मामले पर 20 अक्टूबर से चुप्पी साधे हुए थे और कह रहे थे कि मुख्यमंत्री से बात करने के बाद ही कुछ कहेंगे। मुख्यमंत्री से उनकी बात 29 अक्टूबर को हो तो गई लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद शुक्रवार, 30 अक्टूबर को चुप्पी तोड़ते हुए हरक सिंह रावत ने दमयंती रावत को हटाए जाने को चुनौती दे डाली। हरक सिंह ने कहा कि भले ही बोर्ड से अध्यक्ष के रूप में मुझे हटा दिया गया है लेकिन मनोनीत सदस्य तो अब भी चार साल तक काम कर सकते हैं। मनोनीत सदस्यों की जगह अभी किसी को नहीं रखा गया है। लिहाजा बोर्ड के छह मनोनीत सदस्य अपनी जगह बने रहेंगे और उनका वोट महत्वपूर्ण होगा। श्रम मंत्री ने कहा कि उन्होंने पूरे मुख्यमंत्री को भी यह बात दस्तावेजों के साथ बता दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री स्वयं भी चाहें तो किसी सचिव को नहीं हटा सकते। मुख्यमंत्री अनुमोदन करेंगे लेकिन आदेश तो कार्मिक विभाग ही जारी करेगा। उन्होंने कहा कि ऐसे ही कोई दायित्वधारी अपनी मर्जी से आदेश करने लगे तो व्यवस्था का प्रश्न खड़ा हो जाएगा। कैबिनेट मंत्री ने कहा कि दमयंती रावत बोर्ड की सचिव थीं और बनी रहेंगी। हरक सिंह रावत ने कहा कि शमशेर सिंह सत्याल द्वारा किया गया आदेश अज्ञानतावश दिया गया आदेश है। दमयंती रावत अब भी बोर्ड की सचिव बनी रहेंगी। श्रम मंत्री ने कहा कि कानून में, संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि कोई दायित्वधारी अपने हस्ताक्षर से जिम्मेदार पद पर बैठे किसी अफसर को हटा दे। उन्होंने कहा कि इसकी पावर बोर्ड को है लेकिन, बोर्ड की अभी मीटिंग तक नहीं हुई है।