साइबर तकनीकी की पेचीदगियों से अंजान शख्स हो रहे हैं शिकार

देहरादून। जैसे जैसे हम इंटरनेट और तकनीकी के प्रयोग में माहिर होते जा रहे हैं वैसे वैसे हम इसका शिकार भी हो रहे है। रोजमर्रा की जरूरत के सामानों की खरीददारी से लेकर बैंकिंग, पर्यटन, स्वास्थ्य जैसे तमाम क्षेत्रों में साइबर तकनीकी का उपयोग करने वाले बढ़े हैं। मगर इस दौरान की गई जाने-अनजाने में एक गलती कंगाल बना सकती है। चिंता की बात इसलिए भी अधिक है कि उत्तराखंड में साइबर अपराध के मामले निरंतर बढ़ रहे हैं। अब तो साइबर अपराधी शहरों के धनाढ्य और नौकरीपेशा व्यक्तियों के साथ ही गांवों और कम विकसित जिलों के भोले-भाले और साइबर तकनीकी की पेचीदगियों से अंजान शख्स को भी शिकार बनाने लगे हैं।
नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2016 के मुकाबले वर्ष 2018 के बीच साइबर क्राइम में ढाई गुना से अधिक का इजाफा हुआ है। कंप्यूटर से संबंधित अपराध के मामले सर्वाधिक पाए गए हैं। इसके अलावा एटीएम, ऑनलाइन धोखाधड़ी, यौन उत्पीडऩ, ब्लैकमेलिंग, निजता का हनन आदि से संबंधित अपराध भी इसका हिस्सा बने हैं।
साइबर पुलिस के अनुसार साइबर अपराधियों से बचने के लिए सावधानी ही उपाय है। किसी भी संदिग्ध ई-मेल, सोशल मैसेंजिंग एप और लिंक को न खोलें। सोशल मीडिया और ई- बैंकिंग के लिए पुख्ता पासवर्ड का प्रयोग करें और यह जानकारी किसी से भी साझा न करें। मदद के लिए किसी भी संस्था को दान देने या ईनाम के लिए लिंक पर क्लिक करने से पहले उसकी अच्छी तरह जांच-पड़ताल जरूर करें। ईमेल, लिंक, वेबसाइट या फोन कॉल से ठगी के प्रयास की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।
एसटीएफ डीआइजी रिधिम अग्रवाल ने बताया कि साइबर अपराध से बचने का सबसे कारगर उपाय है जागरूकता और सावधानी। अक्सर छोटी से गलती ही साइबर अपराधी को हमारे बैंक अकॉउंट में सेंध लगाने या फिर निजी जानकारी चुराने का मौका दे देती है। ऐसी स्थिति में बिना देर किए पुलिस को सूचना दें।