कोरोना की रफ्तार काबू में लेकिन फिर भी रहें सतर्क

देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना की रफ्तार काबू में है। डेढ़ साल बाद प्राथमिक स्कूल भी खुल चुके हैं, पर इससे उत्साहित होने की जरूरत नहीं है। बल्कि और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है, ताकि कोरोना संक्रमण से छोटे बच्चों को सुरक्षित रखा जा सके, लेकिन स्थिति इससे ठीक उलट है। स्कूल में एंट्री एवं छुट्टी के समय कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है। छोटे बच्चे बेफिक्र होकर दोस्तों के कंधे में हाथ डाले स्कूलों से घर को जा रहे हैं।
करीब 19 महीनों बाद स्कूल खुलने से बच्चों के चेहरे की रौनक तो लौटी है, लेकिन संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया है। प्राथमिक कक्षाओं में औसतन पांच साल से 11 वर्ष तक के बच्चे ही पढ़ते हैं। इन बच्चों पर काबू पाना आसान नहीं होता। नजर हटने पर कब बच्चे कोरोना गाइडलाइन की धज्जियां उड़ा दें कहा नहीं जा सकता। सरकारी स्कूलों में यह बात साबित भी हो रही है।

दृश्य एक
दोपहर 12 बजे प्राथमिक विद्यालय जाखन की छुट्टी के समय कई बच्चे एक झुंड में निकल रहे हैं। यहां कोरोना गाइडलाइन का पालन नहीं हो रहा है। बच्चों ने मास्क ठीक से नहीं पहने थे। जिन बच्चों को उनके अभिभावक लेने पहुंचे हैं, वो छात्र जरूर भीड़ से अलग दिखे।

दृश्य दो
सुबह 11 बजकर 45 मिनट पर प्राथमिक विद्यालय दिलाराम में बच्चे छुट्टी होने का इंतजार कर रहे हैं। कुछ छात्र कोरोना गाइडलाइन से अंजान एक दूसरे से सट कर बैठे हैं। वहीं कुछ कक्षाओं में शिक्षक छात्रों को पढ़ा रहे हैं।

दृश्य तीन
दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर प्राथमिक विद्यालय पटेलनगर से बाहर निकल रहे बच्चे झुंड बनाकर निकल रहे हैं। बच्चों के मास्क नाक और मुंह से खिसके हुए हैं। कई बच्चे कंधों में हाथ रख घर जा रहे हैं। कई छोटी कक्षाओं के छात्र-छात्राएं बड़े बच्चों के साथ झुंड बनाते भी दिखे।
अभिभावक भी समझें जिम्मेदारी
जिला शिक्षा अधिकारी आरएस रावत ने कहा कि सभी शिक्षकों को प्राथमिक कक्षाओं के छात्रों का विशेष ध्यान रखने के निर्देश गए हैं। छात्रों को कोरोना के खिलाफ जागरुकता फैलाने की जिम्मेदारी भी दी है। स्कूलों के भीतर एवं आसपास बच्चे कोरोना गाइडलाइन का पूरा पालन करें, यह सुनिश्चत करने को भी कहा है। अभिभावकों से अपील है कि छोटे बच्चों को खुद छोडऩे एवं लेने आएं ताकि स्कूल के बाहर घर तक के सफर में भी उनकी पूरी सुरक्षा हो सके।

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