कॉपरेटिव में साधन सचिवों को मिलेगा एक समान वेतन

सहकारिता विभाग में 49 साल बाद बदली नियमावली घाटे में चलने वाली सहकारी समितियों की सुधरेगी स्थिति

देहरादून(आरएनएस)।  उत्तराखंड बहुउद्देशीय प्रारंभिक कृषि सहकारी ऋण समिति कर्मचारी केंद्रित सेवा नियमावली 2024 को मंजूरी मिलने से सहकारी समितियों की स्थिति में बड़ा बदलाव आएगा। समितियों के साधन सचिवों को एक समान वेतन मिलेगा। घाटे में चलने वाली सहकारी समितियों की स्थिति सुधरेगी।
सहकारिता मंत्री डा. धन सिंह रावत ने बताया कि नई नियमावली के बाद बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के कर्मचारियों का नियमित वेतनमान सुनिश्चित होगा। अभी हर समिति में सचिव का वेतनमान अलग अलग है। अब समितियों में पारदर्शिता, कार्यकुशलता को बढ़ावा मिलेगा। अभी तक राज्य में उत्तर प्रदेश की 1976 की नियमावली लागू थी। राज्य की विशेष आवश्यकताओं को देखते हुए उत्तराखंड सहकारी समिति अधिनियम, 2003 की धारा 122 ‘क’ के तहत नई नियमावली तैयार की गई है। यह कदम सहकारी समितियों को सशक्त बनाने और कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने की दिशा में अहम पहल है।

मुनाफे में आएंगी घाटे वाली सहकारी समितियां
नई नियमावली से सहकारी समतियां अब लाभ की स्थिति में आएंगी। उत्तराखंड में कई बहुउद्देशीय प्रारंभिक कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) घाटे से जूझ रही हैं। इसके कारण सचिव, अकाउंटेंट और विकास सहायकों को आर्थिक संकट झेलना पड़ रहा है। नई नियमावली में घाटे में चल रही समितियों को सरकार की ओर से वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी। यह सहायता कुछ वर्ष तक जारी रहेगी। जब तक समितियां अपनी परफॉर्मेंस में सुधार कर घाटे से उबरकर सामान्य स्थिति में नहीं आ जातीं, उन्हें मदद मिलेगी। समितियों के लाभ के आधार पर कर्मचारियों के वेतनमान में वृद्धि होगी। इससे कर्मचारियों को प्रोत्साहन मिलेगा।

कर्मचारियों के लिए नए अवसर और पारदर्शिता
नई नियमावली में कर्मचारियों को नियमित वेतनमान का लाभ मिलेगा। उनकी कार्यक्षमता और रचनात्मकता को नई दिशा मिलेगी। अब सचिव समेत अन्य कर्मचारी विभिन्न जिलों की समितियों में काम कर सकेंगे। सहकारिता मंत्री ने बताया कि पुराने कैडर सचिवों के हितों को भी यथावत रखा गया है, ताकि किसी भी कर्मचारी का नुकसान न हो।

सहकारी समितियों में बढ़ेगी पारदर्शिता
सहकारिता मंत्री ने बताया कि, नई नियमावली से बहुउद्देशीय सहकारी समितियों की कार्यप्रणाली में और अधिक पारदर्शिता आएगी। कर्मचारियों को विभिन्न क्षेत्रों में काम करने का अवसर मिलने से समितियों के प्रबंधन और संचालन में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। सरकारी वित्तीय सहायता और कर्मचारियों की मेहनत से समितियां आत्मनिर्भर बनेंगी। बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगी।

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