व्यावसायिक वाहन हो रहे सरेंडर

देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बाद बड़े व्यावसायिक वाहनों का संचालन तकरीबन ठप हो गया है। रही-सही कसर चारधाम यात्रा के स्थगित होने से पूरी हो गई है। ऐसे में कहीं से आय न होती देख व्यावसायिक वाहनों ने अपने परमिट सरेंडर करना शुरू कर दिए हैं। इससे विभाग को राजस्व का खासा नुकसान हो रहा है। कोरोना की दूसरी लहर से परिवहन व्यवसाय पर बहुत बड़ी मार पड़ी है। इस समय व्यावसायिक वाहनों का संचालन न के बराबर हो रहा है, जो वाहन संचालित हो भी रहे हैं, उनमें केवल आटो या फिर बैटरी रिक्शा शामिल हैं। इसके अलावा अभी तक अंतरराज्यीय वाहनों के संचालन को भी मंजूरी नहीं मिल पाई है। इस वर्ष जनवरी से परिस्थितियां कुछ बदली थी। कोरोना संक्रमण के मामले कम हए तो वाहन सडक़ों पर दौडऩे लगे। सरकार ने संक्रमण की दर कम होती देख आधी सवारी बिठाने की अनिवार्यता से भी छूट दे दी। इसके बाद शादी के सीजन में भी व्यावसायिक वाहनों का अच्छी आय हो रही थी। इस बीच अप्रैल से अचानक कोरोना के मामलों ने एक बार फिर रफ्तार पकडऩी शुरू की। बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेश सरकार ने फिर से वाहनों में सख्ती शुरू की और इन्हें फिर से 50 प्रतिशत क्षमता के साथ संचालित करने के निर्देश दिए। इसके बाद संक्रमण के डर से वाहनों में सवारियां कम होने लगी। लागत न निकलती देख वाहन यूनियनों ने सरकार से टैक्स माफी की मांग उठाई। इस पर जब सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया तो टैक्स बचाने के लिए वाहनों ने अपने कागजात सरेंडर करने शुरू कर दिए हैं। उप आयुक्त परिवहन एसके सिंह ने कहा कि साल में अमूमन यात्रा के बाद तीन महीने के लिए वाहन सरेंडर होते ही हैं, लेकिन इस बार वाहन अभी से सरेंडर होना शुरू हो गए हैं। इससे विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा है।