चौथी गढ़वाल राइफल्स के पूर्व सैनिकों ने नूरानांग दिवस धूमधाम से मनाया
देहरादून। गढ़वाल राइफल की चौथी बटालियन के पूर्व सैनिकों ने नूरानांग बैटल आनर डे धूमधाम से मनाया। इस दौरान युद्ध की शौर्य गाथा को याद किया गया। 1962 में चीन से हुए युद्ध में बटालियन को यह उपाधि मिली।
गढ़ी कैंट स्थित दून सैनिक इंस्टीट्यूट में बटालियन के कमांडिंग अफसर रहे मेजर जनरल एमके यादव (रिटायर) ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम शुरू किया। सबसे पहले नूरानांग के हीरो महावीर चक्र धारक जसवंत सिंह रावत सहित अन्य बलिदानियों को श्रद्धांजलि दी गई। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि पलटन ने अपने शौर्य और वीरता के दम पर 1962 के भारत-चीन युद्ध की तस्वीर बदल दी थी। इस युद्ध में चौथी गढ़वाल के तीन अफसर, चार जेसीओ, 147 सैनिक ने सर्वोच्च बलिदान देकर देशभक्ति में स्वर्णिम अध्याय जोड़ा। नूरानांग की लड़ाई में महावीर चक्र विजेता राइफलमैन जसवंत सिंह और चौथी गढ़वाल वीरों ने चीन के इरादों को धूल में मिला दिया था। इस एतिहासिक युद्ध में चौथी गढ़वाल को बैटल आनर नूरानांग की मानद उपाधि मिली। तत्कालीन ले. जनरल ब्रिज मोहन कौल ने अपनी किताब अनटोल्ड हिस्ट्री में लिखा है कि अगर चौथी गढ़वाल जैसी बहादुर पलटन और होती तो अरुणाचल व भारत का नक्शा ही कुछ और होता। आज भी तवांग सेक्टर में जो भी सैनिक, अर्धसैनिक जाते हैं वे अत्याधिक श्रद्धा के साथ जसवंतगढ़ (नूरानांग) में शीश झुकाते हैं। इस युद्ध के शामिल रहे कैप्टन जेके कांती (सेनि) ने युद्ध के कई किस्से साझा किए। समारोह में ब्रिगेडियर आईपी सिंह (सेनि), ब्रिगेडियर आरएस रावत (सेनि), ब्रिगेडियर जगमोहन सिंह (सेनि), कर्नल वीएस नेगी (सेनि), आनरेरी कैप्टन जयमल सिंह (सेनि), आनरेरी कैप्टन दलबीर सिंह (सेनि), आनरेरी कैप्टन नंदन सिंह रावत (सेनि), हवलदार वचन सिंह (सेनि) आदि उपस्थित रहे।